MP Swing house grant scam: मध्य प्रदेश में फर्जीवाड़े का एक और नमूना सामने आया है। अफसरों ने इस बार NGO (गैर सरकारी संगठन) संचालकों से मिलीभगत कर उन्हें लाखों रुपए का अनुदान जारी कर दिया। मुरैना जिले में यह फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अफसर घबाराए हुए हैं। उन्होंने 2016 से 2019 तक बंद पालना (झूला) घरों के बदले भी अनुदान जारी करते रहे। मामले की NGO संचालकों के साथ महिला बाल विकास विभाग के अफसरों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2015 तक केन्द्रीय समाज कल्याण विभाग के अनुदान पर झूला घरों का संचालन किया जाता रहा है, लेकिन 2016 से 38 झूला घर महिला एवं बाल विकास विभाग को हैंडओवर कर दिए गए। कुछ एनजीओ को छोडकऱ सभी का भुगतान कर दिया गया, लेकिन एनजीओ 2016 से 2019 तक कागजों में झूलाघर का संचालन दिखाकर अफसरों से लाखों रुपए भुगतान करा लिया।
बिना सत्यापन कराए करते रहे भुगतान
विभाग प्रत्येक झूला घर को 1.36 लाख रुपए सालाना अनुदान देता है, लेकिन अधिकारी बिना सत्यापन कराए ही सालों तक बंद झूला घरों के बदले एनजीओ को भुगतान कराते रहे। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब उनके होश उड़े हुए हैं। फिलहाल, मामले की जांच कराने की बात कही जा रही है।
झूला घर की अवधारणा
शासन द्वारा संचालित झूला घर में बच्चों का लालन-पालन होता है। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता नौकरी या मजदूरी करते हैं। अथवा अभावग्रस्त इलाके में रहते हैं, उनके बच्चों को झूला घर में रखा जाता है। इन बच्चों को पौष्टिक भोजन भी एनजीओ द्वारा उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन 2016 के बाद ज्यादातर झूलाघर सिर्फ गाजजों संचालित होते रहे। जो चलते भी थे वहां पौष्टिक आहार के तौर पर सिर्फ बिस्किट मिल रही।
मुरैना जिले में 38 झूला घर
मुरैना जिले में कुल 38 झूला घर हैं। सबलगढ़ में 11, मुरैना में 14, जौरा में 06, कैलारस में 02, अंबाह में 01 और पोरसा में 04। झूल घरों के संचालन की बात करें तो वरखंडी शिक्षा प्रसार समिति व महात्मा शिक्षा प्रसार समिति आठ-आठ, सुमन रानी शिक्षा प्रसार समिति व जगदंबा शिक्षा समिति चार-चार, बैजंती महिला समाज कल्याण समिति पांच, महिला परिषद चार के अलावा कुछ और एनजीओ हैं, जो एक-दो झूला घरों का संचालन करते हैं।