2023 का सबसे छोटा दिन है आज, 10 घंटे 42 मिनट रहेगी रोशनी, रात सबसे लंबी, जानें क्या है इसकी वजह

today is shortest day
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21 जून का दिन सबसे बड़ा होता है। उसकी तुलना में 22 दिसंबर का दिन 2 घंटे 52 मिनट छोटा रहेगा।
22 दिसंबर यानी शुक्रवार का दिन साल 2023 का सबसे छोटा दिन है। आज सूर्यदेव और और सूर्यास्त के बीच 10 घंटे और 42 मिनट का फासला रहेगा। इसी प्रकार आज की रात सबसे लंबी रहेगी, रात की अवधि 13 घंटे 18 मिनट की रहेगी।

भोपाल। 22 दिसंबर यानी शुक्रवार का दिन साल 2023 का सबसे छोटा दिन है। आज सूर्यदेव और और सूर्यास्त के बीच सिर्फ 10 घंटे और 42 मिनट का फासला रहेगा। इसी प्रकार आज की रात सबसे लंबी रहेगी, रात की अवधि 13 घंटे 18 मिनट की रहेगी। दरअसल, पृथ्वी से सूर्य की दूरीआज सबसे अधिक रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर कम समय के लिए रहेगी। राजधानी भोपाल में शुक्रवार को सूर्योदय 6 बजकर 57 मिनट पर हुआ है। सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 39 मिनट पर होगा। 21 जून को आने वाले बड़े दिन के मुकाबले शुक्रवार का छोटा दिन लगभग 2 घंटा 52 मिनट छोटा होगा।

पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई इसलिए परिवर्तन होते हैं
आंचलिक विज्ञान केंद्र के मुताबिक, 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है, क्योंकि इस दिन पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से विपरीत दिशा में होता है। चूंकि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिसके कारण मौसम में परिवर्तन होते हैं और इसी के कारण ही ऋतुओं के प्रभाव भी होते हैं, इसलिए 22 दिसंबर को दिन छोटा और रात बड़ी होती है। 21 जून को जो बड़ा दिन होता है, उसकी तुलना में 22 दिसंबर का यह दिन दो घंटे 52 मिनट छोटा होता है।

सूर्य की क्रांति 23 अंश 26 कला पर होगी
श्री मांतगी ज्योतिष केन्द्र उज्जैन के ज्योतिर्विद पं अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि यह खगोलीय घटना है, जो सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात की स्थिति निर्मित करती है। इस दौरान सूर्य मकर रेखा पर लंबवत रहेगा। इस दिन सूर्य की क्रांति 23 अंश 26 कला पर होगी। इस क्रांति से भारत सहित उत्तरी गोलार्ध के देशों में सबसे छोटे दिन की स्थिति बनेगी।

वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 करोड़ 70 लाख किमी पर स्थित रहेगा। इसका व्यास 13 लाख 52 हजार 800 किमी अर्थात पृथ्वी के व्यास से 100 गुना से भी अधिक है। सभी ग्रह सूर्य को केंद्र मानकर अंडाकार कक्षा में उसके चारों ओर चक्कर लगाते है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति सभी ग्रहों को अपनी कक्षाओं में भ्रमण, एक निश्चित अंशात्मक दूरी पर रहते हुए कराती है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है।

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