MP Budget Session 2024: मध्यप्रदेश की 16वीं विधानसभा का बजट सत्र 1 जुलाई से शुरू हो रहा है। 19 जुलाई तक चलने वाले सत्र में 'मोहन सरकार' वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेगी। सत्र शुरू होने से पहले मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है। उमंग ने मांग की है कि 1 जुलाई से शुरू हो रहे बजट सत्र की पूरी कार्रवाई जनसंपर्क और मीडिया चैनलों के जरिए लाइव प्रसारित की जाए। यदि विपक्षी दल के विधायकों का प्रसारण नहीं होता है तो मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के बजट पर भाषण के लाइव प्रसारण पर भी रोक लगाई जाए।
विभागों के पास सिर्फ जुलाई तक का बजट
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 'मोहन सरकार' ने विभागों को अभी चार माह का बजट दिया है। यानी विभागों के पास जुलाई माह के लिए बजट है। जुलाई के बाद खर्चों के लिए राशि की व्यवस्था करनी होगी। इसको लेकर वित्त विभाग काम कर रहा है। 8 माह के लिए राज्य का बजट तैयार हो रहा है। एक जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में इस बजट को सदन में पेश किया जाएगा। सदन की हरी झंडी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
आधा दर्जन विधेयक रखे जाएंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच हुई चर्चा के बाद 30 मई को विधानसभा सचिवालय ने बजट सत्र की अधिसूचना जारी की थी। 19 जुलाई तक चलने वाले सत्र में 14 बैठकें हो सकती हैं। बजट और अनुदान मांगों पर चर्चा के साथ सरकार आधा दर्जन विधेयक भी विधानसभा में मंजूरी के लिए लाएगी।
फरवरी में पेश किया था अंतरिम बजट
बता दें कि फरवरी में 'मोहन सरकार' ने अंतरिम बजट (लेखानुदान) पेश किया था। एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए का लेखानुदान बजट में चार महीने के लिए लागू किया गया था। सरकारी विभागों को अप्रैल से 31 जुलाई 2024 तक विभिन्न योजनाओं में खर्च के लिए राशि आवंटित की गई थी। 31 जुलाई के बाद के व्यय के लिए 19 जुलाई तक चलने वाली विधानसभा सत्र में बजट पेश किया जाएगा।
जानें किस विभाग को कितनी राशि दी थी
मोहन सरकार के अंतरित बजट में स्कूल शिक्षा विभाग को सबसे ज्यादा 11674 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इसके बाद किसानों के लिए 9588 करोड़, महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए 9360 करोड़, स्वास्थ्य विभाग को 5417 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग को 5100 करोड़, नगरीय विकास विभाग के लिए 4654 करोड़, आदिवासी कल्याण के लिए 4287 करोड़, लोक निर्माण विभाग के लिए 3132 करोड़ रुपए, सामाजिक न्यास के लिए 1820 करोड़, अनुसूचित जाति विभाग के लिए 787 करोड़, ओबीसी और अल्प संख्यक कल्याण के लिए 514 करोड़, श्रम विभाग के लिए 391 करोड़ और धार्मिक न्यास के लिए 39 करोड़ रुपए आवंटित किए थे।