राजगढ़ (मुकेश शर्मा)। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में रावण दहन की बजाय पूजा करने की परंपरा है। राजगढ़ के भाटखेड़ी गांव में रावण और कुंभकरण की आदमकद प्रतिमाएं स्थित हैं। जहां हर साल दशहरे पर लोग पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं।
वर्षों पुरानी परंपरा
ग्रामीणों ने बताया कि रावण और कुंभकरण हमारी आस्था के आस्था के प्रतीक हैं। यहां रावण पूजा की वर्षों पुरानी परंपरा है। दशहरे पर हर साल लोग परिवार के साथ रावण और कुंभकरण की प्रतिमा की पूजा अर्चना करते हैं।
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गांव के प्रवेश द्वार रावण प्रतिमा
ब्यावरा-इंदौर रास्ते पर स्थित भाटखेड़ी गांव के प्रवेश द्वार पर ही रावण और कुंभकरण की प्रतिमा स्थापित हैं। हाइवे-52 से ही इन्हें देखा जा सकता है। दशहरे पर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
रावण से जोड़ दिया गांव का नाम
ग्रामीणों ने गांव के नाम को भी रावण के नाम जोड़ दिया है। लोग इस गांव को अब भाटखेडी-रावण वाली के नाम से जानते हैं। दशहरे पर रावण के पुतले जलाने की रस्म को भी अलग तरह से ही निभाते चले आ रहे हैं।
नवरात्रि पर रामलीला का मंचन
भाटखेड़ी गांव के सरपंच कृष्ण कुमार बताते हैं कि यहां पर शारदीय नवरात्रि में कई साल से रामलीला का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही दशहरे पर रावण का सांकेतिक बध होता है, लेकिन पुतल दहन नहीं किया जाता। यहां पुतले को भाला छुआकर छोड़ दिया जाता है।