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Vikramotsav 2024: उज्जैन के 40 दिवसीय विक्रमोत्सव का शुभारंभ शुक्रवार को कन्हैया मित्तल की मधुर भजनों के साथ हुआ। इस दौरान उज्जयिनी विक्रम व्‍यापार मेला का शुभारंभ भी हुआ।

Vikramotsav 2024: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में निवेश और संस्कृति का महाकुंभ आयोजित है। शुक्रवार को कन्हैया मित्तल की मधुर प्रस्ततियों के बीच 40 दिन चलने वाले विक्रमोत्सव का शुभारंभ हुआ। कन्हैया के भजन सुन मुख्यमंत्री मोहन भी झूुम उठे। कहा, हमारे देश में संस्कृति की ध्वजा अनंतकाल से लहराती आई है। भारत ने बल-बुद्धि, शौर्य, पराक्रम से आक्रांताओं को पराजित किया है।  

इस प्रसिद्ध भजन गायक कन्हैया मित्तल ने मधुर भजन प्रस्तुत की। दिल्ली के संतोष नायक के साथी कलाकारों के साथ ओम नम: शिवाय, शास्त्री नृत्य, मुंबई के केजी हुपर ग्रुप ने हनुमान चालीसा एवं शिव महादेव स्तुति से मंत्रमुग्ध कर दिया। स्थानीय कलाकारों के डमरू वादन ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भजन गायक कन्हैया मित्तल को बधाई देते हुए कहा, उनके भजनों ने शरीर में जोश और ऊर्जा का संचार होता है। आपने शिप्रा के किनारे आकर भजन सुनाएं, इसके लिए आपको बधाई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भजन गायक मित्तल का पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। 


विक्रमोत्सव-2024 के प्रमुख कार्यक्रम गतिविधियां 

  • रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव: प्रदेश की समृद्धि और विकास के महत्वपूर्ण आयाम के रूप में उज्जैन और इसके आसपास के ज़िलों में रोज़गार व व्यापार की संभावनाओं को बल देने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किया गया है। इससे औद्योगिक विकास के लिए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।  
  • उज्जयिनी विक्रम व्‍यापार मेला: सरकार ने उज्‍जैन नगरी के उद्योग /व्‍यापार छवि को पुनर्जीवित करने 40 दिवसीय उज्जयिनी विक्रम व्‍यापार मेला आयोजित किया है। 1 मार्च से 9 अप्रेल तक दशहरा मैदान और पीजीबीटी मैदान उज्‍जैन में आटोमोबाइल, इलेक्‍टॉनिक, हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद, झूले और खान-पान की दुकानें लगेंगी। मेले में प्रदेश के उद्यमियों, व्‍यापारियों को विपणन का मौका और क्षेत्रीय उत्‍पादों, संस्‍कृति, कला एवं पर्यटन को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा।
  • महानायकों की तेजस्विता का संग्रहालय: आजादी के अमृतकाल में भारत के गौरवशाली और पराक्रमी अतीत से सुपरिचय कराने प्रदेश सरकार संकल्पित है। उज्‍जैन के कोठी पैलेस में भारत भूमि के तेजस्‍वी नायकों, सतपुरूषों की प्रेरक कथाओं, वाणियों और चरित्रों का चित्रांकन, उत्‍कीर्णन, शिल्‍पांकन, ध्‍वन्‍यांकन, पारंपरिक और अधुनातन तकनीकों से किया जाएगा।
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