Vyapam Scam: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में 12 साल बाद बड़ी कार्रवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी। कांग्रेस इस कार्रवाई के बाद हमलावर हो गई। उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा से इस्तीफा मांगा है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांग्रेस के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने बताया, 2012 में हुई परिवहन आरक्षक भर्ती में अनियमितता संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। जिसके परिपालन में राज्य सरकार ने 12 साल बाद 45 नियुक्तियां निरस्त की हैं।  
       
केके मिश्रा बोले-2014 को किया था खुलासा 
केके मिश्रा ने मामले की विस्तृत जानकारी दी है। बताया कि शिवराज सरकार में विभिन्न पदों के लिए व्यावसायिक शिक्षा मंडल (व्यापमं) ने 168 परीक्षाएं कराई थीं। इनमें 1 लाख 47 हज़ार परीक्षार्थी शामल हुए। कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर मैंने 21 जून 2014 को इन परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े उजागर किए थे। जिसमें परिवहन आरक्षक परीक्षा भर्ती घोटाला भी शामिल था। 

परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाला 

  • मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) भोपाल ने मई 2012 में 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। लेकिन बाद में सक्षम प्राधिकारी की बिना स्वीकृति के 332 आरक्षक चयनित कर लिए। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए थे। 
  • कांग्रेस के मुताबिक, इस भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन भी नहीं हुआ। कहा, चयनित आरक्षकों का फ़िज़िकल टेस्ट भी नहीं कराया गया। जबकि, पुलिस सेवा में ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं। 
  • परिवहन विभाग ने चयनित अभ्यर्थियों की मेरिट सूची तक सार्वजनिक नहीं की थी। कांग्रेस ने इस पर एसटीएफ़, एसआईटी और सीबीआई को जरूरी दस्तावेज सौंपकर जांच कराए जाने की मांग की थी। 
  • परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने 23 जून, 2014 को पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के आरोपों को मिथ्या बताया था। 316 परिवहन आरक्षकों की सूची जारी कर सभी भर्तियां पारदर्शी तरीके से होना बताया था। 
  • एसटीएफ़ ने 14 अक्टूबर 14 को  39 आरोपियों के ख़िलाफ़ अपराध दर्ज किया। जिसकी जांच में कई अभ्यर्थियों के अस्थायी पते ग़लत मिले थे। 
  • 2013 में तत्कालीन परिवहन आयुक्त संजय चौधरी (IPS) के आदेश पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी गईं। लेकिन 17 ने ज्वाइनिंग ही नहीं दी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 45 आरक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी किया गया है।  

भ्रष्टाचार छिपाने के लिए माफी मांगे भूपेन्द्र सिंह : मिश्रा
कांग्रेस के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने माामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, तत्कालीन सरकार ने  इन आरोपों के बाद मानहानि का प्रकरण में दायर किया था। भोपाल की जिला न्यायालय से 2 वर्ष की सजा और अर्थदंड कराया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकार की कार्रवाई के बाद हमारे आरोप सटीक साबित होते हैं। मामले में तत्कालीन परिवहन मंत्री के ओएसडी की भी संलिप्तता मिली थी। लिहाज़ा, दोनों को नैतिकता के नाते त्याग-पत्र दे देना चाहिए। तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह को भ्रष्टाचार छुपाने और मीडिया को गुमराह करने के लिए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगी है।