Vyapam scam : मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में एक और चौकाने वाला खुलासा हुआ है। CBI की स्पेशल कोर्ट ने ऐसे पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है, जिन्होंने न तो फिजिकल टेस्ट दिया और न लिखित परीक्षा पास की। इसके बावजूद पुलिस में भर्ती हो गए और करीब 9 साल बतौर आरक्षक नौकरी करते रहे।
लिखित परीक्षा में बैठाए थे साल्वर
मध्यप्रदेश व्यावसायिक मंडल ने 7 अप्रैल 2013 को पुलिस विभाग के लिए आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में विवेक त्यागी, चरण सिंह सिकरवार और सुनील रावत ने साल्वर बैठाए थे। फिजिकल टेस्ट भी इन्हीं लोगों की मदद से पास की थी।
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आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में फर्जीवाड़ा
लोक अभियोजक के मुताबिक, विवेक त्यागी की जगह संदीप नायक, चरण सिंह सिकरवार की जगह बृजेंद्र रावत और सुनील रावत की जगह लेखराज रावत और हरिओम रावत ने परीक्षा दी थी। आरोपियों ने आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में पास हो गए, लेकिन जांच में फर्जीवाड़े का राज खुल गया। न्यायालय ने अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 7-7 का कारावास और 10-10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है। लेकिन इनमें लेखराज रावत उर्फ़ बंटी का निधन हो चुका है।
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व्यापम घोटाला (Vyapam scam) क्या है?
- व्यापम यानी व्यावसायिक परीक्षा मंडल मध्य प्रदेश में सरकारी भर्तियों के लिए एक्जाम करानी वाली संस्था थी। व्यापक स्तर पर हुए फर्जीवाड़े के बाद इसका नाम बदलकर मप्र कर्मचारी चयन मंडल कर दिया गया है।
- व्यापम घोटाले (Vyapam scam) की शुरुआत 2007-08 में हुई थी। निधि लेखा परीक्षक कार्यालय की रिपोर्ट में पहली बार इसका खुलासा हुआ। इंदौर पुलिस ने 2013 में कई होटलों से 20 साल्वर गिरफ़्तार किए थे। जो आवेदकों की जगह बैठकर परीक्षा देने वाले थे।
- एमपी पुलिस ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन कर जांच कराई, लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।