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Abhishek Bachchan Lok Sabha election: अभिषेक बच्चन को MP की खजुराहो सीट से चुनाव लड़ाने की चर्चा है। यहां से अभी भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सांसद हैं।

 Abhishek Bachchan Lok Sabha election: चुनावों में प्रचार प्रसार के लिए फिल्मी एक्टर्स और खिलाड़ियों का उपयोग तो आम बात रही है। अब सियासत में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी भी बढ़ गई है। इस चुनाव में भी कुछ एक्टर अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवार बनाए गए हैं। अब अभिषेक बच्चन को MP के खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा है। बीजेपी के लिए सेफ सीट बन चुकी खुजुराहो से अभी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सांसद हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अभिषेक यहां भाजपा का मात दे पाएंगे..? 

बच्चन परिवार का सियासत में आना नई बात नहीं है। जया बच्चन राज्यसभा की सांसद हैं। अमिताब बच्चन भी एक बार चुनाव लड़ चुके हैं। अब अचानक अभिषेक की चर्चाएं चलनी लगीं हैं। बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी उन्हें मध्य प्रदेश के खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहती है। हालाकि, पार्टी और बच्चन परिवार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल हो रहे हैं।

खजुराहो लोकसभा सीट में 40 साल से भाजपा का कब्जा
खजुराहो लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे छतरपुर, पन्ना की तीन-तीन विधानसभा सीटों और कटनी की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है। 1951 से 1984 तक यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इसके बाद पिछले 40 साल से भाजपा के सांसद ही निर्वाचित हो रहे हैं।

..यूं शुरू हुई अभिषेक के चुनाव की चर्चा 
इस चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने संयुक्त प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है। चर्चा है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अभिषेक बच्चन को प्रत्याशी बना सकते हैं। अभिषेक की मां जया बच्चन पार्टी की राज्यसभा सांसद भी हैं। सोशल मीडिया पर कमलेश यादव नाम के यूजर ने इस संबंध में पोस्ट भी लिखी है, जो खूब वायरल हो रही है। हालांकि, सपा नेता इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। वह कहते हैं अखिलेश यादव जिसे प्रत्याशी बना देंगे, वही मान्य होगा। 

70 के दशक में सक्रिय हुए थे अमिताब बच्चन 
बच्चन परिवार से अभी जय बच्चन ही राजनीति में सक्रिय हैं। 70 के दशक में अमिताब बच्चन ने भी हाथ आजमाया था, लेकिन असफल रहे। लिहाजा, तीन साल में पोलिटिक्स क्विट कर दी थी। उन्होंने 1984 में राजनीति में कदम रखा था और 1987 में पॉलिटिकल करियर छोड़ दिया। राजीव गांधी की हत्या के बाद उनके दोबारा राजनीति में एंट्री की चर्चा हुई थी, लेकिन टालमटोल वाला जवाब दिया था। 

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