MP में निजीकरण के खिलाफ अनोखा आंदोलन: वन विभाग के 15000 श्रमिकों ने खून से लिखा पत्र, मुख्य सचिव से लगाई गुहार

MP Forest Deportment News: मध्य प्रदेश सरकार वन विभाग में अस्थयी कर्मचारियों की जगह ठेका प्रथा लागू करना चाहती है। इसे लेकर जारी एक आदेश जारी किया है, जिसके बाद विरोध स्वरूप प्रदेशभर से लगभग 15 हजार श्रमिकों ने अपने खून से पत्र लिखकर गुहार लगाई है। कहा, आदेश निरस्त न हुआ तो वह आंदोलन करेंगे।;

By :  Desk
Update:2024-05-22 13:03 IST
वन अपराध मामले में फैसलाMP Forest
  • whatsapp icon

MP Forest Deportment News : मध्य प्रदेश में वन विभाग के मजदूरों ने अपने खून से लिखे पत्र मुख्य सचिव वीरा राणा को भेजे हैं। वन विभाग में लागू किए जा रहे निजीकरण के विरोध में वन मजदूरों ने नाराजगी जताते हुए पत्र के माध्यम से अपनी बात कही है। निजीकरण से संबंधित आदेश को निरस्त किए जाने की मांग मजदूरों द्वारा की जा रही है।

15 हजार पोस्टकार्ड
मध्य प्रदेश सभी जिलों के लगभग 15 हजार श्रमिकों ने मुख्य सचिव वीरा राणा के नाम खून से पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए श्रमिकों ने वन विभाग में लागू की जा रही निजीकरण यानी ठेका पद्धति का विरोध किया है। साथ ही शासन स्तर से जारी आदेश निरस्त किए जाने की मांग की है। श्रमिकों के खून से लिखे यह पत्र प्रदेशभ में चर्चा का विषय बना हुआ है। आदेश निरस्त न होने पर मजदूरों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।  

ठेकेदारों को सौंपेगे श्रमिकों के काम
मप्र कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडेय ने बताया कि 27 मार्च को वन विभाग के  अपर मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर विभाग में दो लाख से ज्यादा के कार्य ठेके से कराने के निर्देश दिए हैं। अभी तक यह सभी काम वन विभाग के मजदूर, सेवा चौकीदार, दैनिक वेतन भोगी श्रमिक, वन ग्राम के सदस्यों द्वारा किया जाता था। विभाग की नई व्यवस्था से इन्हें बेरोजगारी की चिंता सता रही है। यही कारण है कि छह दिन में वन विभाग के श्रमिकों ने मुख्य सचिव को 15 हजार पोस्टकार्ड भेज दिए। 

चरणबद्ध आंदोलन आंदोलन की चेतावनी
अशोक पांडेय ने बताया कि वन विभाग में यदि ठेका प्रथा निजीकरण लागू होगा तो पर्यावरण को बड़ी हानि होगी। उन्होंने कहा कि इस विषय को देखते हुए मजदूरों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही वन विभाग में निजीकरण लागू करने के आदेश को वापस नहीं लिया तो प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा। मजदूरों के इस पत्र और संबंधित आदेश पर फिलहाल मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से फिलहाल कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि मजदूरों की नाराजगी को देखते हुए उच्च स्तरीय अधिकारी बैठक करते हुए इस पर निर्णय ले सकते हैं। 

Similar News