world heritage day: दुनिया में पहचान बना रहीं MP की ऐतिहासिक धरोहरें; महेश्वर, मांडू, धार और ओरछा की बदल रही तस्वीर

World Heritage Day: मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरें, प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति और गौरवशाली परंपराएं हमेशा दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही हैं। यह स्थल न केवल मन को सुकून देते हैं, बल्कि मानव सभ्यता, कला, कौशल से आज की पीढ़ी को अवगत कराते हैं।
एमपी की इन धरोहरों तक हर व्यक्ति की पहुंच सुलभ कराने मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने एक्सेसिबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट’ परियोजना पर काम शुरू किया है। इसके तहत महेश्वर, मांडू, धार व ओरछा में रैंप, ब्रेल साइन बोर्ड, व्हीलचेयर इत्यादि सुविधाओं से दिव्यांगजनों की पहुंच आसान व सुलभ बनाई जाएगी।

मप्र पुरातात्विक, भूगर्भिक महत्व के स्थल
मप्र टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने बताया, हम मध्यप्रदेश के अधिक से अधिक स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की स्थायी सूची में शामिल कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश पुरातात्विक, भूगर्भिक और प्राकृतिक महत्व के स्थलों से समृद्ध है। पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सुविधा के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं। जिससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने के साथ अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
यूनेस्को सूची में MP के 18 स्थल
- यूनेस्को की सूची में मध्य प्रदेश की 18 विश्व प्रसिद्ध धरोहरें शामिल हैं। इनमें से खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं और सांची स्तूप यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल हैं। जबकि, 15 धरोहरें टेंटेटिव सूची में हैं।
- यूनेस्को ने इस वर्ष प्रदेश की चार ऐतिहासिक धरोहरों को सीरियल नॉमिनेशन के तहत टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया है। इनमें सम्राट अशोक के शिलालेख, चौंसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला शासकों के महल और किले को यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है।

दिव्यांगों को सुलभता से होंगे दर्शन
मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों के सुलभता से दर्शन के अभिलाषी दिव्यांगों के लिए मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थलों का कायाकल्प किया जाएगा। बोर्ड प्रारंभिक तौर पर महेश्वर, मांडू, धार और ओरछा में एक्सेसिबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट परियोजना पर कार्य कर रहा है।

यह होंगे विकास कार्य
चलने-फिरने में असमर्थता (लोकोमोटर दिव्यांगता), दृष्टि बाधा (नेत्रहीनता, कम दृष्टि और रंग अंधता), श्रवण बाधा (सुनने में असमर्थता), एकाधिक दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता के दृष्टिगत पर्यटन स्थलों पर आधुनिक सुविधाएं होंगी। इसके अंतर्गत रैंप का निर्माण, सुलभ शौचालय, पेयजल व ऑडियो गाइड्स आदि की व्यवस्था की जाएगी।
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