आशीष नामदेव, भोपाल। धरोहर देखने की चाहत रखने वालों को पोलाडोंगर भी देखना चाहिए। जो चौथी-पांचवीं शती ईस्वी के समय से मंदसौर में मौजूद है। दशपुत्र क्षेत्र मंदसौर में गुप्तकाल में कई शैलोत्कीर्ण गुफाओं का निर्माण हुआ। इनमें धमनार, कोलवी, विनायगा, खेजड़ियाभूप व पोलाडोंगर प्रमुख हैं। अधिकांश गुफाएं बौद्ध धर्म के हीनयान पंथ से संबंधित हैं। 467 ईस्वी के प्रभाकरवर्मन के मंदसौर अभिलेख में शैलोत्कीर्ण गुफाएं बनाए जाने का उल्लेख किया गया है। मौका था विश्व धरोहर सप्ताह के अवसर पर चल रही राज्य संग्रहालय में विश्व धरोहर की छायाचित्र प्रदर्शनी का। जिसका सोमवार को समापन हो गया है। इस छायाचित्र प्रदर्शनी में करीब 50 से अधिक धरोहर, स्मारक, स्तूप आदि के छायाचित्र दिखाए गए हैं।

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सास-बहू का मंदिर देखना है तो चले जाए ग्वालियर दुर्ग
हमेशा सास बहू की लड़ाई देखने वालों को सास-बहू का मंदिर के बारे में जरूर जानना चाहिए। यह अनोखा मंदिर ग्वालियर दुर्ग के प्रमुख प्राचीन मंदिर में शामिल है। कच्छपघात कालीन मंदिरों में सास-बहू का मंदिर मुख्य है और इसका निर्माण 11वीं शती ईस्वी में हुआ था। वहीं तेली का मंदिर और चतुर्भुज मंदिर भी ग्वालियर दुर्ग में अपनी पहचान बनाए हुए है।

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झांसी का किला और रानी की दवाव पाटन भी देखी गई
इस छायाचित्र प्रदर्शनी में झांसी और उसके आस-पास के स्मारक भी दिखाए गए। जिसमें झांसी का किला उप्र, जराई का मठ उप्र, देवगढ़ दशावतार मंदिर ललितपुर उत्तर प्रदेश शामिल रहे। साथ ही गुजरात के विश्व प्रसिद्ध स्मारक में जामा मस्जिद, चंपानेर और रानी की दवाव पाटन को भी दिखाया गया है।