महाराष्ट्र में आरक्षण की अभी यह स्थिति (Reservation status in Maharashtra)
राज्य में 52% आरक्षण वर्तमान में अनुसूचित जाति 13%, अनुसूचित जनजाति 7%, ओबीसी 19%, विशेष पिछड़ा वर्ग 2%, विमुक्त जाति 3%, घुमंतू जनजाति (बी) 2.5%, घुमंतू जनजाति (सी) धनगर में विभाजित है। 3.5%, और घुमंतू जनजाति (डी) वंजारी 2%।
मराठा आरक्षण क्यों जरूरी है
- मराठा आरक्षण बिल में स्पष्ट किया गया कि मराठा समाज की जनसंख्या महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है।
- मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी आबादी के मुताबिक कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरी है।
- मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित किए जाने की शिफारिश की गई है।
- महाराष्ट्र में अभी 52 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें कई बड़ी जातियां व वर्ग शामिल हैं। ऐसे में 28 प्रतिशत आबादी वाले माराठा समाज को ओबीसी में रखना अनुचित है। यानी इस समाज को अलग आरक्षण देना जरूरी है।