Ajit Pawar Deputy CM: महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। अजित पवार ने गुरुवार (5 दिसंबर) को छठी बार डिप्टी सीएम के पद की शपथ लेकर एक नया रिकॉर्ड कायम कर लिया। बुधवार को महायुति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे सवाल पूछा गया, तो उन्होंने आत्मविश्वास भरे लहजे में कहा, "मैं तो कल शपथ लेने वाला हूं।" इस बयान के बाद से सियासी हलचल और तेज हो गई। शपथ ग्रहण के मामले में अब अजित पवार का मुकाबला शायद ही कोई नेता कर सके।
अजित पवार: राजनीति का 'सिक्सर'
65 वर्षीय अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में एक अनुभवी नेता माने जाते हैं। अजित पवार ने अपनी सियासी यात्रा में अब तक पांच बार डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली है। पहली बार नवंबर 2010 में पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में डिप्टी सीएम बने। इसके बाद अक्टूबर 2012 से सितंबर 2014 तक उन्होंने यही जिम्मेदारी निभाई। 2019 में एनडीए सरकार में महज 80 घंटे के लिए वे डिप्टी सीएम बने, लेकिन सरकार गिरने के बाद महा विकास अघाड़ी के तहत उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चौथी बार शपथ ली। जुलाई 2023 में वह शिवसेना और भाजपा गठबंधन के साथ पांचवीं बार डिप्टी सीएम बने। अब छठी बार सीएम पद की शपथ लेंगे।
अजित पवार कब-कब बनें डिप्टी सीएम:
क्रंसं | तारीख | कार्यकाल | मुख्यमंत्री |
1. | 10 नवंबर 2010 | 10 नवंबर 2010 - 25 सितंबर 2012 | पृथ्वीराज चह्वाण |
2. | 23 नवंबर 2019 | 25 अक्टूबर 2012 - 26 सितंबर 2014 | पृथ्वीराज चह्वाण |
3. | 23 नवंबर 2019 | 23 नवंबर 2019 - 26 नवंबर 2019 | देवेंद्र फडणवीस |
4. | 28 नवंबर 2019 | 28 नवंबर 2019 - 29 जून 2022 | उद्धव ठाकरे |
5. | 02 जुलाई 2023 | 02 जुलाई 2023- मौजूदा | एकनाथ शिंदे |
महायुति सरकार की नई पारी
देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। हालांकि, अब तक पूरी कैबिनेट की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही मंत्रियों के नामों का ऐलान किया जाएगा। महायुति सरकार ने राज्य की जनता को स्थिर और मजबूत नेतृत्व देने का वादा किया है।
डिप्टी सीएम पद के लिए संविधान में क्या है प्रावधान?
संविधान में डिप्टी सीएम के पद का जिक्र नहीं है। अनुच्छेद 163 और 164 में सिर्फ मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल का प्रावधान है। हालांकि, डिप्टी सीएम को कैबिनेट मंत्री के बराबर माना जाता है। इस पद पर बैठे नेता को वही वेतन और सुविधाएं मिलती हैं जो अन्य मंत्रियों को मिलती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस साल फरवरी में डिप्टी सीएम पद को असंवैधानिक मानने से इनकार कर दिया था।
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क्या मुख्यमंत्री बन पाएंगे अजित पवार?
अजित पवार ने कई बार मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा था, "मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं, लेकिन गाड़ी डिप्टी सीएम पर अटक जा रही है।" फिलहाल उनकी यह महत्वाकांक्षा अधूरी है, लेकिन डिप्टी सीएम के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति का अडिग स्तंभ बना दिया है। वे प्रशासनिक कौशल और सख्त फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। अगर आने वाले विधानसभा चुनावों में अजित पवार की अगुवाई वाली शिवसेना ज्यादा सीटें जीतने में सफल रहती है ताे, संभव है कि वह मुख्यमंत्री भी बन जाएं। हालांकि, इसके लिए उनकी पार्टी को गठबंधन में रहते हुए या अकेले अपने दम पर सबसे ज्यादा सीटें जीतनी होंगी।
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अजित पवार ने कैसे की राजनीति की शुरुआत
अजित पवार ने राजनीति में अपना पहला कदम अपने चाचा शरद पवार की देखरेख में रखा। 1990 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा। जीत से राजनीति में अपनी पहचान बनाई। शरद पवार के संरक्षण में नेतृत्व के गुण सीखे और सियासत गहरी समझ मिली।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के गठन के बाद, अजित पवार पार्टी के अहम नेता के तौर पर उभरे। अलग-अलग मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। अपनी मेहनत और चतुराई से अजित पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी खास जगह बनाई। कई बार उपमुख्यमंत्री बनें। अजित पवार ने यह दिखाया कि वे सत्ता के समीकरणों को गहराई से समझते हैं।