Maharashtra CM Announcement: महाराष्ट्र में आज, सोमवार (25 नवंबर) को महायुति (Mahayuti) के मुख्यमंत्री और डिप्टी मुख्यमंत्री का ऐलान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, एक मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला फाइनल हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। इससे पहले राज्य में सरकार गठन करने की योजना बनाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, महायुति के नेताओं ने हर 6-7 विधायकों पर एक मंत्री पद देने का फॉर्मूला तय किया है। 

भाजपा का चुनाव में शानदार प्रदर्शन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। भाजपा ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 132 सीटें जीतीं। उसका स्ट्राइक रेट 88% रहा। महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-शिंदे, एनसीपी-अजित) ने कुल 230 सीटें जीतीं। वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA) में कांग्रेस को 45, शिवसेना-उद्धव को 20 और एनसीपी (शरद) को सिर्फ 10 सीटें मिलीं। शरद पवार की पार्टी का स्ट्राइक रेट महज 11% रहा।  

शरद पवार का दावा- चुनाव में हुआ ध्रुवीकरण
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कराड में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नतीजों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे से चुनाव में ध्रुवीकरण हुआ। पवार ने स्वीकार किया कि मराठा और ओबीसी वोट उनके पक्ष में नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जो लोग उनके गुट से अलग हुए, उन्हें जनता ने स्वीकार किया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी मैदान नहीं छोड़ेगी और अगले चुनाव में बेहतर तैयारी करेगी।  

उद्धव ठाकरे और शिवसेना को जनता ने नकारा 
उद्धव ठाकरे की शिवसेना इस बार सिर्फ 20 सीटों पर सिमट गई। उसका वोट शेयर 10.10% रह गया। 2019 में एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करना जनता को रास नहीं आया। शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए लोगों ने उन्हें भारी समर्थन दिया। उद्धव ठाकरे के कमजोर प्रदर्शन से हिंदुत्व की राजनीति में उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है।  

शरद पवार के लिए कठिन समय
शरद पवार की एनसीपी का प्रदर्शन उनके छह दशक लंबे राजनीतिक करियर का सबसे खराब रहा। इस बार उनकी पार्टी ने 86 उम्मीदवार उतारे, लेकिन सिर्फ 10 जीत सके। पार्टी का वोट शेयर भी गिरकर 11.29% रह गया। पवार ने कहा कि वह भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने बारामती से युगेंद्र को उतारने के फैसले को सही ठहराया। साथ ही कहा कि हार के बाद पार्टी मजबूती से 

महायुति के सामने होगी कई चुनौतियां 
महायुति सरकार के गठन के बाद भाजपा और उसके सहयोगियों पर जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव होगा। इस बार रिकॉर्ड 65.11% वोटिंग हुई, जो 2019 से 4% ज्यादा है। भाजपा के वादों को पूरा करने की चुनौती होगी, खासतौर पर मराठा और ओबीसी आरक्षण, रोजगार और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर। वहीं, विपक्ष को कमजोर स्थिति से उभरने के लिए नई रणनीति बनानी होगी।