Maharashtra Inside Story: महाराष्ट्र में बंपर जीत मिलने के बाद भी महायुति गठबंधन राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए नाम फाइनल नहीं कर पाई। महाराष्ट्र के सीएम पद को लेकर सस्पेंस के बीच बुधवार (27 नवंबर) को एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और उन्होंने जो बयान दिया है उस बयान से साफ़ हो गया कि अबकी बार शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। 

शिंदे ने साफ कर दिया कि महाराष्ट्र का अगला सीएम बीजेपी से ही होगा। उन्होंने ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुझे CM पद की लालसा नहीं है। पीएम मोदी जो फैसला लेंगे मुझे मंजूर होगा। मैं संतुष्ट हूं, मैं कभी बीच में रोड़ा नहीं बनूंगा, पीएम मोदी और अमित शाह को मैंने बता दिया है। बीजेपी जो फ़ैसला लेगी मेरी शिवसेना उसको समर्थन करेगी। 

शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया था चुनाव 
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 एकनाथ शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया था। चुनाव परिणाम में बीजेपी को महायुति में सबसे ज्यादा 132 सीटें मिलीं तो सीएम को लेकर खींचतान जारी हो गई। इसके बाद 27 नवंबर को एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खुद ऐलान कर दिया कि वह बीजेपी के हर फैसले को मानने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सीएम फेस को लेकर चल रहा गतिरोध खत्म होता दिख रहा है।

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शिंदे ने कहा कि मेरे लिए लाड़ला भाई यही पद, सबसे बड़ा पद है। शिंदे के इस बयान का साफ मतलब निकाला जा रहा है कि अब देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अलगे मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर एकनाथ शिंदे ने एकदम से सीएम पर छोड़ने का ऐलान क्यों कर दिया। उनका मोह मुख्यमंत्री की कुर्सी से खत्म कैसे हो गया। इसका जवाब यही कि अपनी नफा- नुकसान देखकर शिंदे ने यह कदम उठाया होगा। इसके क्या कारण हो सकते हैं इनके बारे में हम आपको बता रहे हैं। 

BJP को ज्यादा सीटें मिलने से शिंदे का आत्मबल डगमगाया
एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में खुद को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर कर लिया। इसके पीछे कई कारण हैं। पहला कारण विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या का अधिक होना है। विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा नीत महायुति गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है।

महायुति गठबंधन ने विधानसभा की 288 सीटों में से 230 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें भाजपा को 132, शिवसेना (शिंदे गुट) को 57 और अजीत पवार की  एनसीपी को 41 सीटें मिलीं थीं। ऐसे में महायुति में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है यानी बड़ा भाई बन गई है और मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोक रही है।


विधानसभा में शिंदे के अनुकूल नहीं है नंबर गेम 
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। यहां बहुमत का आंकड़ा 145 है। बीजेपी के पास 132 सीटें हैं। वहीं एनसीपी (अजित पवार) के पास 41 सीटें हैं कुल मिलाकर 173 सीटें होती हैं। ऐसे में शिंदे को समझ में आ रहा है कि बीजेपी से नाराज होने में उनका घाटा है।

वहीं ज्यादा सौदेबाजी करने में बीजेपी ने उनको मन मुताबिक मंत्रालय नहीं दिया तो शिंदे के हाथ खाली रह सकते हैं। ऐसे में उन्होंने समझदारी के साथ गेंद को बीजेपी के पाले में डाल दिया है। इससे उनको सीएम पद जाने के बाद भी कई अहम पद मिल सकते हैं। 

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बेटे को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग 
एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के साथ ही चाहते हैं कि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को प्रदेश में डिप्टी सीएम का पद दिया जाए। हो सकता है कि शिंदे ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से यह बात कर ली हो। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया हो। एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे दूसरी बार सांसद बने हैं।

श्रीकांत शिंदे कल्याण से लोकसभा सदस्य हैं। एकनाथ शिंदे ने कथित तौर पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कहा कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है, तो उन्हें महायुति सरकार का संयोजक बनाया जाना चाहिए। हालांकि बीजेपी की ओर से अभी तक इन मांगों के बारे में कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है। पर सूत्रों का कहना है कि अभी तक सीएम पद के नाम की घोषणा करने में जो देरी हो रही थी वो इस मोलभाव के चलते ही थी।
 
गृह मंत्रालय समेत कई मलाईदार मंत्रालय
कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे सीएम नहीं बन रहे हैं तो फिर वो महाराष्ट्र सरकार में ऐसा कोई पोर्टफोलियो चाहेंगे जो मुख्यमंत्री से अधिक न हो पर उसी तरह का हो। इसके लिए एक रास्ता यह है कि यूपीए चेयरपरसन सोनिया गांधी की तरह महायुति संयोजक का कोई पद बनाया जाए।

हालांकि यह पद केवल दिखावे के लिए ही होगा पर आज शिंदे को अपने समर्थकों के बीच अपनी साख बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी होगा। राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ने सरकार में बड़े पद की मांग की है। अगर एकनाथ शिंदे खुद डिप्टी सीएम बनते हैं तो उन्हें गृह मंत्रालय जरूर चाहिए।

केंद्र में शिवराज सिंह की तरह कोई बड़ा मंत्रालय
एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री का पद छोड़ने की एवज में केंद्र में कोई बड़ा मंत्रालय मांग सकते हैं। जैसे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया है। दूसरी मांग यह भी हो सकती है कि शिंदे के बेटे को केंद्र में मंत्री बनाया जाए और शिंदे को महायुति का संयोजनक बनाया जाए। 

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