रायपुर। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने 17 फरवरी को रात ढाई बजे अंतिम सांस ली है। वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। लगभग छह महीने से डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रुके हुए थे। तीन दिन तक उपवास करने के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। उनके देहावसान को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। 

पीएम मोदी ने लिखा कि, यह मेरा सौभाग्य है... मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान 5 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी डोंगरगढ़ पहुंचे और मुनि श्री का विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद लिया था। तब उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि, आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं। उनके समाधि लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। 

राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन हुए भावुक

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर निधन पर राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने लिखा कि, परम वंदनीय संत, आचार्य विद्यासागर महाराज के ब्रह्मलीन होने का समाचार मिला है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में आश्रय प्रदान करें। विश्व-कल्याण के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समर्पण अविस्मरणीय है। आचार्य श्री के चरणों में कोटि-कोटि नमन। 

कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने की संवेदना व्यक्त

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर निधन पर कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने संवेदना व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि, आध्यात्मिक चेतना के पुंज, संत शिरोमणि आचार्य परमपूज्य विद्यासागर  महाराज जो तप, त्याग, ध्यान, धारणा समाधि, समाधान के साक्षात स्वरूप थे। वो आज हमारे पावन डोंगरगढ़ के चंद्रगिरि तीर्थ में चिर समाधि में लीन हो गए। लाखों मनुष्यों के कष्टों का हरण करने वाले, उन्हें अपने इष्ट से मिलाने वाले, उनके अभीष्ट की पूर्ति करने वाले तीर्थ स्वरूप, परमपूज्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज श्री चरणों में दण्डवत प्रणाम, कोटि-कोटि नमन। 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया प्रेरणा स्रोत

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर के निधन पर आध्यात्मिक चेतना के पुंज, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी की सल्लेखना समाधि का समाचार समस्त मानव समाज को नि:शब्द करने वाला है। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। आचार्य जी की शिक्षाएं सदैव हम सभी को मानव कल्याण एवं प्राणी सेवा की प्रेरणा देती रहेंगी, शत् शत् नमन। 

पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी जताया दुख

जैन धर्म के संत शिरोमणि आचार्य  विद्यासागर महाराज की छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ, डोंगरगढ़ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार समस्त जैन समाज के साथ पूरे देश और विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने आगे लिखा कि आचार्य जी की शिक्षा, ज्ञान और मानव कल्याण की भावना को शत शत नमन. उनका तपस्या पूर्ण जीवन हम सभी का सदैव पथ प्रदर्शक बना रहेगा। 

कर्नाटक में जन्मे थे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

आचार्य जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं।

आज बंद रहेंगी जैन समाज की दुकानें

आचार्य विद्यासागर जी महाराज के समाधि लेने पर देशभर में जैन समाज के लोग आज अपनी-अपनी दुकानें बंद रखेंगे। वहीं उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर एक बजे चंद्रगिरि तीर्थ में ही होगा। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए देशभर से उनके शिष्य चंद्रगिरी पहुंचे हैं। गौरतलब है कि आचार्य विद्यासागर ने 6 फरवरी को योग सागर जी से चर्चा की और फिर आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने मुनि श्री समय सागर महाराज को  अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए उन्हें आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी।