राजस्थान के कोटा में अनाथ बेटियों की शाही शादी: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित जुटे 2000 मेहमान, इंटरव्यू से चुने गए जीवनसाथी

Orphan daughters Royal wedding in Kota: राजस्थान के कोटा में गुरुवार को जिन तीन बेटियों की शाही शादी हुई है, वह आश्रय गृह में पली-बढ़ी हैं। इनमें से दो युवतियां मूक-बधिर हैं। इन्हें आशीर्वाद देने के लिए कई बड़ी हस्तियां भी पहुंचीं।

Updated On 2025-08-29 17:12:00 IST
वैवाहिक कार्यक्रम में वर वधु को आशीर्वाद देते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला व अन्य।

राजस्थान के कोटा में गुरुवार को एक अनूठा और हृदयस्पर्शी विवाह समारोह आयोजित हुआ, जिसमें तीन अनाथ बेटियों की शादी शाही अंदाज में संपन्न हुई। इस समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित प्रदेश की कई प्रमुख हस्तियां नवदंपतियों को आशीर्वाद देने पहुंचीं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आयोजित इस भव्य आयोजन में 2000 से अधिक मेहमान शामिल हुए। खास बात यह रही कि इन बेटियों के लिए जीवनसाथी का चयन प्रशासनिक अधिकारियों की एक विशेष टीम ने साक्षात्कार के माध्यम से किया।

ये तीनों बेटियां- पूनम, सुनीता और मीनाक्षी कोटा के आश्रय गृहों में पली-बढ़ी हैं। इनमें से पूनम और सुनीता मूक-बधिर हैं, जबकि मीनाक्षी विभिन्न आश्रय गृहों में रही हैं। तीनों सिलाई, बुनाई और कढ़ाई जैसे कौशलों में निपुण हैं। पूनम और सुनीता को पुलिस ने कोटा रेलवे स्टेशन से बचाया था, जिसके बाद उन्हें आश्रय गृह में स्थान मिला। इस शादी ने न केवल इन बेटियों को नया जीवन दिया, बल्कि समाज में एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

विवाह की पूरी व्यवस्था राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और स्थानीय प्रशासन ने संभाली। वर के चयन के लिए कोटा के ADM की अध्यक्षता में दो कमेटियां गठित की गई थीं, जिनमें कानूनी साक्षरता प्राधिकरण और पुलिस के अधिकारी शामिल थे। इन कमेटियों ने शादी के लिए आए प्रस्तावों की जांच की और साक्षात्कार के आधार पर योग्य वरों का चयन किया।

वैदिक मंत्रों और पुष्पवर्षा के बीच संपन्न हुए इस समारोह में तीनों जोड़ों- सुनीता-नरेंद्र, पूनम-महावीर और मीनाक्षी-बृजेश ने सात फेरे लिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नवदंपतियों को आशीर्वाद देते हुए प्रत्येक जोड़े को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इस आयोजन में किन्नर समुदाय भी शामिल हुआ, जिन्होंने दुल्हनों को सोने की अंगूठियां भेंट कीं।

यह आयोजन न केवल सामाजिक समावेशन का प्रतीक बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और समाज मिलकर अनाथ और विशेष जरूरतों वाले व्यक्तियों के जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हैं। इस शादी ने कोटा को एक बार फिर सामाजिक संवेदनशीलता और मानवता के क्षेत्र में अग्रणी बनाया।

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