Pushkar Fair: पहली बार ऊंटों की रैली और मिल्किंग कॉम्पटीशन, जानें पुष्कर मेला में और क्या है खास

Pushkar Fair: राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला दिवाली के दूसरे दिन शुरू होता है। पहले चरण में पशु मेला फिर गोपाष्टमी और तीसरे चरण में धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।;

Update:2024-10-27 11:00 IST
Pushkar Fair in RajasthanPushkar Fair in Rajasthan
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Pushkar Fair 2024: राजस्थान के अजमेर जिले में अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला इस बार 2 नवंबर से शुरू हो रहा है। इसमें पहली बार ऊंटों का रोड-शो और गायों के दूध निकालने जैसी आकर्षक प्रतियोगताएं होंगी। जिसमें बड़ी संख्या में पशुपालक शामिल हो रहे हैं। 3 मिनट में गाय का सर्वाधिक दूध दुहने वाले पशुपालक को सम्मानित किया जाएगा।

पुष्कर मेले में अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और जापान सहित करीब 60 देशों से हजारों पर्यटक आएंगे। प्रशासन ने मेले की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय कर ली गई है। 70 प्रतिशत पर्यटकों ने होटल और रिसॉर्ट भी बुक कर लिए हैं। 

पुष्कर मेले के 3 चरण
पुष्कर मेला तीन चरणों में आयोजित होता है। पहले चरण में दीपावली के दूसरे दिन पशु मेला शुरू होता है। इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर गोपाष्टमी का आयोजन होता है। इसमें खेलकूद और पशु प्रतियोगिताएं होती हैं। तीसरे चरण में धार्मिक मेला होता है। देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विभिन्न अनुष्ठान होते हैं। पूर्णिमा पर महास्नान के साथ यह मेला समाप्त होता है।

पुष्कर में मिलती है आध्यात्मिक शांति
अजमेर से 11 किमी दूर स्थित पुष्कर पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। यहां बड़ी मात्रा में फूलों की खेती होती है। इसीलिए पुष्कर ‘गुलाब उद्यान’ के नाम से विख्यात है। यहां के फूल दुनियाभर में निर्यात होते हैं। पुष्कर में राधा-कृष्ण, महादेव और सावित्री देवी जैसे अनेक मंदिर हैं। जहां मन को आध्यात्मिक शांति मिलती है। साधु-संतों की उपस्थिति और भक्ति गीतों की गूंज श्रद्धालुओं को मनमुग्ध कर देती है।

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हस्तशिल्प और पारंपरिक नृत्य-संगीत 
पुष्कर मेले का इतिहास 100 साल पुराना है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर झील के किनारे मेला आयोजित होता है। भगवान ब्रह्मा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध इस पवित्र स्थल पर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी आते हैं। 2 नवंबर से 17 नवंबर तक 15 दिन चलने वाले इस मेले में ऊंटों की दौड़, स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक संगीत-नृत्य आकर्षण का केंद्र होता है।  

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