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पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने की बात कहते हुए एक बयान दिया था। शंकराचार्य के इस बयान की गोवर्धन पीठाधीश्वर अधोक्षजानंद देव ने आलोचना की है। जानें अधोक्षजानंद ने ऐसी कौन सी बात कही जो चर्चा में है...।

लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जगन्नाथ पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के दिए गए बयान पर गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव ने पलटवार किया है। पुरी पीठ के उस कथन की तीखी आलोचना की है जिसमें शंकराचार्य निश्चलानंद ने कहा है कि प्रधानमंत्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं, इसलिए वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे। शंकराचार्य देव तीर्थ ने कहा कि धर्माचार्य द्वारा इस प्रकार का बयान देना देश की 140 करोड़ उस जनता का अपमान है जो सैकड़ों वर्ष से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा कर रही थी। अधोक्षजानंद ने कहा कि धर्माचार्य को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। 

'सच्चा भक्त ताली भी बजाएगा और नृत्य भी करेगा'
अधोक्षजानंद देव ने यह भी कहा कि धर्माचार्य ने अहंकार का आवरण इतना अधिक ओढ़ रखा है कि ऐसा लगता है कि इसे भक्ति शास्त्र के बारे में बिलकुल भी ज्ञान नहीं है। यदि ताली बजाने की जरूरत है तो बजाई जानी चाहिए क्योंकि यदि कोई सच्चा भक्त है तो वह ताली भी बजाएगा और नृत्य भी करेगा। 

'मोदी-योगी की इच्छा शक्ति के कारण इतने कम समय में भव्य मंदिर का बना'
धर्माचार्य निश्चलानंद ने हाल में एक बयान देकर कहा था कि वे अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण मिलने के बावजूद केवल ताली बजाने के लिए समारोह में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा तो प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं। शंकराचार्य देव तीर्थ ने कहा कि प्रधानमंत्री वर्तमान में विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। राम मंदिर के बारे में कोर्ट का आर्डर जरूर आया, लेकिन मोदी और योगी की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही इतने कम समय में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। सैकड़ों साल इंतजार के बाद भगवान राम अयोध्या में विराजमान हो रहे हैं। इससे भारतवासी और दुनिया के सनातन धर्मावलंबी प्रसन्न हैं। केवल यही लोग दुखी हैं। 

'धर्माचार्य ने प्रधानमंत्री ही नहीं जनता की भी तौहीन की है'
अधोक्षजानंद देव का कहना है कि धर्माचार्य ने प्रधानमंत्री की तौहीन ही नहीं की है, बल्कि उस जनता की भी तौहीन की है जिसने प्रधानमंत्री को चुना है। शंकराचार्य ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि देश के अधिकांश प्राचीन मंदिरों का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा राजाओं ने ही की है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी शासक होगा, वह जनता का प्रतिनिधि होगा। उन्होंने कहा कि ताली बजाने की बात एक गंभीर मसला है, जिसकी व्याख्या वे बाद में करेंगे और किसी धर्म गुरु द्वारा ऐसा कतई नहीं कहा जाना चाहिए।

निश्चलानंद सरस्वती ने ये बयान दिया था 
जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रतलाम में कहा था कि अयोध्या में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा में वे शामिल होने नहीं जाएंगे। शंकराचार्य ने कहा यह भी कहा था कि मोदी नमन, मिलन, दमन, अंकन, गमन इन सभी कूटनीति में माहिर हैं। उनकी कूटनीति को समझना काफी कठिन है। मोदी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति को स्पर्श करेंगे। मैं वहां ताली बजाकर जय-जय करूंगा। मुझे अपने पद की गरिमा का ध्यान है। इसलिए मेरा जाना उचित नहीं है। राजनेता अपने दांव खेलते रहते हैं।

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