Akhilesh Yadav Changes in 9 UP Lok Seats: उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग होनी है। लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव प्रचार से दूर हैं। वे और उनकी पार्टी अभी तक कैंडिडेट के सेलेक्शन में उलझी हुई है। वोटिंग से कुछ हफ्ते पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उलटफेर कर चुके हैं। ऐसे में जिनका टिकट कटा, वे अपने कार्यकर्ताओं को समझा नहीं पा रहे हैं और जिन्हें टिकट मिल रहा है उनके पास प्रचार के लिए दिन कम हैं। 

समाजवादी पार्टी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से अधिकांश पर चुनाव लड़ रही है। उसे कांग्रेस के साथ समझौते के तहत 63 सीटें मिलीं। बाकी 17 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। 

ये हैं अखिलेश यादव के 10 बदलाव

बदायूं: सुलझी नहीं दुविधा
बदायूं की दुविधा अभी तक सुलझी नहीं है। धर्मेंद्र यादव को टिकट मिला। फिर काटा। फिर शिवपाल यादव प्रत्याशी बने। शिवपाल ने कहा कि इस सीट से मैं नहीं मेरे बेटे आदित्य यादव चुनाव लड़ें तो अच्छा। चर्चा है कि आदित्य के नाम पर मंथन हो रहा।
 
बिजनौर: यशवीर की जगह दीपक सैनी को टिकट
यशवीर सिंह को टिकट मिला। बाद में काटकर दीपक सैनी को दिया गया। 

मेरठ: तीन बार कटा टिकट
अखिलेश यादव ने पहले भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया। फिर उनका टिकट काटकर अतुल प्रधान को उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन अतुल का भी टिकट काट दिया गया। उधर, विधायक रफीक अंसारी ने पर्चा खरीदा, लेकिन योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को टिकट मिल गया।

नाराज अतुल प्रधान ने कहा कि पार्टी और विधायकी दोनों से इस्तीफा दे दूंगा। अखिलेश ने लखनऊ बुलाया। सुबह 7 बजे सपा कार्यालय में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। अखिलेश ने पुचकार कर मना लिया। 

नोएडा:  महेंद्र नागर कटा टिकट फिर मिला
महेन्द्र नागर को टिकट मिला। फिर उनका टिकट काटकर राहुल अवाना को उम्मीदवार बनाया। फिर राहुल का काटकर वापस महेन्द्र नागर को टिकट मिला। 

मिश्रिख: राजवंशी में झूलता रहा टिकट
पहले रामपाल राजवंशी को टिकट दिया गया। फिर उनका टिकट काटकर मनोज राजवंशी को दिया। और फिर मनोज का काटकर उनकी पत्नी संगीता राजवंशी को टिकट दिया। 

मुरादाबाद: सस्पेंस बरकरार
सबसे पहले सिटिंग सांसद एसटी हसन को टिकट मिला। फिर अखिलेश और आजम की जेल में मुलाकात हुई और रुचि वीरा का नाम सामने आ गया।  दोनों ने दावा किया कि अखिलेश ने उनको टिकट दिया है। एसटी हसन का टिकट कटा। रुचि वीरा को मिल गया। एसटी हसन ने कहा कि ओवैसी ने पहले ही कहा था कि मुझे टिकट नहीं मिलेगा। हालांकि अभी भी मुरादाबाद में सस्पेंस है।

बागपत: अमरपाल पर जताया भरोसा
यहां से पहले मनोज चौधरी को उम्मीदवार बनाया था, जिनका टिकट काटकर अमरपाल शर्मा पर अखिलेश यादव ने भरोसा जताया। 

रामपुर: आसिम रजा बने बागी
अखिलेश ने दिल्ली के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिया। आजम के करीबी आसिम रजा ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। आसिम रजा कह रहे हैं कि नाम वापस नहीं लूंगा। 

कन्नौज: उम्मीदवार तय नहीं
कन्नौज सीट पर अखिलेश तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे खुद चुनाव लड़ें या तेज प्रताप यादव को लड़वा दें। 

आगरा में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी और अखिलेश यादव साथ आए थे।

मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट
पहले समाजवादी पार्टी ने मनोज यादव को टिकट दिया था। दो दिन बाद मनोज यादव का टिकट काटकर मीरा दीप नारायण यादव को चुनावी मैदान में उतारा।  

2019 में यादव परिवार को लगा था तगड़ा झटका
2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा ने रालोद और बसपा के साथ गठबंधन किया था। तब महागठबंधन के खाते में 15 सीटें आई थीं। सबसे अधिक फायदा बसपा को हुआ था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता नहीं खुला था। लेकिन 2019 के चुनाव में 10 सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं, अखिलेश यादव के खाते में 5 सीटें आई थीं। हालांकि उनके परिवार को गहरा झटका लगा था। बदायूं से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, कन्नौज से पत्नी डिंपल यादव को हार का सामना करना पड़ा।