Ayodhya Ram mandir: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के भव्यता की चर्चा तो दुनियाभर में हैं, लेकिन उसकी नींव में लगा कांक्रीट और तकनीक के बारे में शायद ही कोई जानता हो। मंदिर की नींव में विशेष तरीके का कांक्रीट उपयोग और तकनीक उपयोग की गई है, जो उसे एक हजार साल तक सुरक्षित रखेगी।
निर्माण कंपनी के विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या में राम मंदिर जिस जगह पर बना है, वहां से कभी सरयू नदी बहती थी। रेतीली मिट्टी के चलते वहां की जमीन भी इतनी मजबूत नहीं थी कि मंदिर का इतना बड़ा इस्ट्रक्चर खड़ा किया जा सके। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी इसे लेकर चिंतित थे, लेकिन निर्माण कंपनी के इंजीनियरों ने समाधान निकाल लिया।
राम मंदिर पहले खंभों (पिलर) पर बनाने की योजना थी। लेकिन मिट्टी परीक्षण में पता चला कि जमीन ऐसी नहीं है। मिट्टी की नमी खंभों को डैमेज कर सकती है। कुछ एक्सपर्ट ने मिट्टी को ठोस व मजबूत बनाने के लिए चूने मिलाने का सुझाव दिया, लेकिन बेस के लिए 2.27 एकड़ में खोदे गए 12 मीटर गड्ढे गहरे को भरने को गुणवत्तायुक्त चूना मिलना मुश्किल था। ऐसे में रोल्ड कॉम्पैक्ट कंक्रीट' का विकल्प तलाशा गया। लेकिन इस कांक्रीट से नींव भरना चुनौती पूर्ण काम था। इसके लिए कांक्रीट में परिणामी मैश मिलाकर टैम्प्रेचर 18 डिग्री नीचे लाया गया। नींव भरने का काम सिर्फ रात में ही किया गया है।
मंदिर निर्माण में इनकी अहम भूमिका
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया, मंदिर निर्माण की चुनौतियों को देखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली, गुवाहाटी, चेन्नई और बॉम्बे के अलावा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की व भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों की राय ली। जो एलएंडटी (लार्सन एंड टुब्रो) के इंजीनियर्स के साथ सलाह-मशविरा कर आधुनिक तकनीक के साथ निर्माण कराया है।