Ballia Lok Sabha Chunav Radheshyam Yadav: चुनावी मौसम में प्रत्याशियों के अनोखे अंदाज तो अक्सर देखने को मिल जाते हैं. लेकिन बलिया में एक प्रत्याशी कफन और हथकड़ी पहने दिखा। वह हाथों में कटोरा भी लिए था, जिसे देखते ही हर कोई हैरान हो गया।
दरअसल, राधेश्याम यादव वर्षों से वन नेशन वन एजुकेशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस मुद्दे से जनता को जोड़ने के लिए अजीबोगरीब कार्य करते रहते हैं। वह कहते हैं कि सांसद, विधायक और अधिकारियों के बच्चों को जैसी शिक्षा हर किसी के बच्चों को मिलनी चाहिए।
देशभर में करना चाहते हैं काम
राधेश्याम ने कहा, समान शिक्षा के लिए देशभर में काम करना चाहते हैं। इसके लिए देशव्यापी अभियान बनाना चाहते और संसद में इस मुद्दे पर बहस करना चाहते हैं। इसलिए वह बलिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
गरीब बच्चों को स्कूलों में थमा दिया है कटोरा
राधेश्याम यादव सोमवार को जब नामांकन करने पहुंचे तो उनके हाथ में कटोरा और शरीर में कफन देखकर मीडिया ने सवाल किया तो बताया कि कफन पहन कर आए हैं. क्योंकि, सरकारों ने आमजन को मरने के लिए छोड़ दिया है। सांसद-विधायक के बच्चे लाखों रुपए फीस देकर कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते हैं, गरीब परिवार के बच्चों को स्कूलों में कटोरा थमा दिया गया है।
मरते दम तक जारी रहेगी समान शिक्षा की जंग
राधेश्याम यादव खुद को मरा हुआ समझते हैं। मीडियाकर्मियों से सवाल करते हुए पूछा कि आप ही बताइए अगर आपके चार बच्चे हैं तो पत्रकारिता की कमाई से उनके लिए क्या कर सकते हैं। समान शिक्षा के लिए मेरी यह जंग मरते दम तक जारी रहेगी। किसी से कोई शिकवा शिकायत नहीं है, लेकिन अंतिम सांस तक संघर्ष करता रहूंगा।
आजाद भारत का गुलाम हिंदुस्तान
राधेश्याम ने बताया कि उनका एक ही मुद्दा है। देश में समान शिक्षा व्यवस्था लागू हो। कफन, कटोरा और हथकड़ी का मकसद समझते हुए कहा, आजाद भारत का गुलाम हिंदुस्तान है। पहले अंग्रेज शोषण करते थे अब नेता शोषण करते हैं। सांसद-विधायक और कलेक्टर-एसपी की अलग कैटेगरी है। उनके बच्चों को जो सुविधाएं मिलती हैं, वह आपके बच्चों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए?
पुलिस ने मेन गेट पर रोका, नहीं कर पाए नामांकन
राधेश्याम बलिया को पुलस ने मेन गेट पर ही रोक लिया और उनके शरीर जंजीर और कटोरा हटवा दिया। वह कफन पहनकर नामांकन केंद्र पहुंचे, लेकिन समय समाप्त हो जाने के कारण निर्वाचन अधिकारी ने 14 मई को बुलाया।