Paras Nath Rai Ghazipur Lok Sabha Candidate: उत्तर प्रदेश में गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पारस नाथ राय को भाजपा ने टिकट दिया है। उनका चुनाव में मुकाबला मुख्तार अंसारी के भाई और सांसद अफजाल अंसारी से है। बीते दिनों मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से बांदा जेल में मौत हो गई। मुख्तार पर करीब 80 मुकदमे दर्ज थे।
अपनी उम्मीदवारी पर पारस नाथ राय ने कहा, 'जब मुझे जानकारी मिली तो मैं एक क्लास में पढ़ा रहा था। ऐसा लगा जैसे संघ ने मुझे संगठन का एक और काम दे दिया है। मैंने टिकट मांगा नहीं था। मैं संघ का एक सामान्य कार्यकर्ता और सिपाही हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किसके खिलाफ चुनाव लड़ रहा हूं। यही मेरे काम का आधार है।
दो घंटे बाद टिकट मिलने का हुआ भरोसा
पारसनाथ राय पेशे से शिक्षक हैं। वे बुधवार को पंडित मदन मोहन मालवीय सिखड़ी इंटर कॉलेज में कक्षा सात के बच्चों को संस्कृत पढ़ा रहे थे। दोपहर में भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह ने फोन किया और गाजीपुर सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की सूचना दी। राय कहते हैं कि उन्हें पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। क्योंकि उन्होंने अपनी दावेदारी नहीं की थी। क्लास खत्म होने के बाद वे घर लौट आए और पहले से तय जिला स्तरीय संघ की बैठक में चले गए।
बैठक में जब उन्हें बधाइयां मिलने लगीं तो उन्हें यकीन हुआ कि टिकट मिल गया है। राय ने कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो अपने कार्यकर्ताओं का ख्याल रखती है।
कौन हैं पारस नाथ राय?
पारसनाथ राय मूलत: गाजीपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म 2 जनवरी 1955 को मनिहारी ब्लॉक के सिखड़ी गांव में हुआ था। वह शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हैं। वह जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी हैं। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। आशुतोष राय बड़े बेटे हैं। वे 2014 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इस वक्त संगठन में एक्टिव हैं। छोटे बेटे आशीष राय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं। पारसनाथ राय ने अब तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में उनके नाम पर लगी मुहर ने बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है।
गाजीपुर सीट पर सिर्फ 3 बार चुनाव जीती भाजपा
मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर सीट से मैदान में हैं। उन्हें सपा ने टिकट दिया है। 2019 के चुनाव में अफजाल अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। उस वक्त उनका मुकाबला तत्कालीन रेलवे राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से था। लेकिन मनोज सिन्हा चुनाव हार गए थे। मनोज सिन्हा ने गाजीपुर सीट पर 2014 के अलावा 1996 और 1999 में चुनाव जीता था। इस तरह अब तक हुए 18 चुनाव में भाजपा को गाजीपुर में तीन बार जीत मिली है।