Dev Deepawali 2024: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में देव दिवाली से पहले होटल-नाव और वाहनों की डिमांड बढ़ गई है। एकादशी में यहां लाखों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एडवांस में बुकिंग करा रखी है। काम्पटीशन के चलते काशी विश्वनाथम क्रूज 10 लाख में बुक हुआ है। 

काशी विश्वनाथम क्रूज के प्रबंधक अजय साहनी ने बताया कि 100 सीटर इस क्रूज में प्रति श्रद्धालु 10 हजार रुपए खर्च आएगा। श्रद्धालुओं के लिए इसमें चाय और कॉफी के साथ बनारसी नाश्ता उपलब्ध कराया जाएगा। छोटी नावों और बोट की मदद से भी लोग गंगा नदी पर दीपदान करते हैं। 

नावों की भी करा रहे हैं बुकिंग
देव दिवाली पर टूर ऑपरेटर होटल, ट्रांसपोर्टेशन और नावों की बुकिंग सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। टूरिस्ट प्रबंधक संतोष सिंह ने बताया कि वाराणसी में होटल फुल हैं। हालांकि, श्रद्धालुओं की मांग को फुलफिल करने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि, श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो और वह यहां अधिक से अधिक समय रुककर आसपास के पर्यटक स्थलों का भ्रमण कर सकें। 

डेढ़ लाख में बुक हुआ महाराजा सुईट
देव दिवाली पर बृजरमा पैलेस का महराजा सुईट डेढ़ लाख और होटल सूर्यदेव हवेली 1.20 लाख में में बुक हुई है। यहां के अफसरों ने बताया कि दिसंबर तक होटल में कमरे खाली नहीं हैं। होटल के साथ वाहनों की भी भारी डिमांड है। टूर ऑपरोटर्स ने आसपास के जिलों से डेढ़ हजार छोटे वाहन बुलवाए हैं। ताकि, श्रद्धालुओं को टैक्सी उपलब्ध कराई जा सकें।  

क्या है देव दिवाली? 
देव दिवाली को कुछ लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं। यह दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल 2024 में देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जानी है। मान्यता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं। भगवान राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लंका फतह के बाद जब अयोध्या लौटे तो दिवाली मनाई गई थी। देवताओं ने यह उत्सव 15 दिन बाद मनाया था। इसी दिन तुलसी विवाह की रस्म होती है। इसी दिन से वैवाहिक मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं।

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देव दिवाली पर पूजा मुहूर्त 
द्रिकपंचांग के अनुसार, देव दिवाली पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर, 2024 को दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 19 नवंबर, 2024 को शाम 5:10 बजे समाप्त होगी। देव दिवाली की पूजा प्रदोष मुहूर्त में की जाती है। लेकिन प्रदोष काल देव दिवाली मुहूर्त 26 नवंबर, 2024 को शाम 5:10 बजे से 7:47 बजे तक है। वाराणसी, ऋषिकेश, रामेश्वरम और हरिद्वार में यह त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाता है।