गाजियाबाद: फीस वृद्धि मामले में जयपुरिया स्कूल को बड़ी राहत, DFRC ने खारिज किए पैरेंट्स के दावे; हाइकोर्ट से रिट वापस

Ghaziabad Jaipuria School
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गाजियाबाद: फीस वृद्धि मामले में जयपुरिया स्कूल को बड़ी राहत, DFRC ने खारिज किए पैरेंट्स के दावे; हाइकोर्ट से रिट वापस।
गाजियाबाद डिस्ट्रिक फी रेगुलेटरी कमेटी ने तमाम कागजात देखने के बाद सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के पक्ष में फैसला सुनाया है। कहा, यूपी फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत ही स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस ली जा रही है। इसमें गलत नहीं है। 

Ghaziabad School News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला शुल्क नियामक समिति (DFRC) ने फी हाईक मामले में जयपुरिया स्कूल प्रबंधन को बड़ी राहत दी है। कुछ पैरेंट्स ने फीस वृद्धि पर आपत्ति जताते हुए हाइटकोर्ट में रिट दाखिला की थी, लेकिन DFRC ने मामले में सुनवाई करते हुए पैरेंट्स के दावों को खारिज कर दिया है।

DFRC बोला-नियमों के तहत बढ़ाई गई फीस
दरअसल, डिस्ट्रिक फी रेगुलेटरी कमेटी स्कूल की फीस निर्धारित करने को लेकर सबसे बड़ी ऑथोरिटी होती है। तमाम कागजात को देखने के बाद फैसला सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के पक्ष में आया। DFRC ने कहा, गाजियाबाद का जयपुरिया स्कूल यूपी फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत ही फीस ले रहा है। इसमें कहीं कुछ गलत नहीं है।

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गाजियाबाद जिला शुल्क नियामक समिति (DFRC) से जारी आदेश।

नहीं हुई नियमों की अवहेलना
स्कूल प्रबंधन ने प्रेस नोट जारी कर मामले से जुड़ी जानकारी दी है। कहा, जिला प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन की अवहेलना नहीं की गई है। न ही गैरकानूनी तरीके से फीस वृद्धि की गई। स्कूल प्रबंधन ने यह भी बताया कि शुरुआत में 172 पेरेंट्स ने फीस वृद्धि पर नाराजगी जताई थी, लेकिन अब ज्यादातर पैरेंट्स स्कूल के निर्णय से संतुष्ट हैं।

2019-20 के बाद 4000 से एडमिशन
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक, 2019-20 के बाद से 4 हजार पैरेंट्स ने अपने बच्चों का एडमिशन कराया है। ज्यादातर ने नई फीस पर संतुष्टि जताई है। क्योंकि फीस निर्धारण उत्तर प्रदेश फीस रेगुलेशन एक्ट-2018 की धारा 4 (2) के तहत ही किया गया है। 4000 में से जिन 170 अभिभावकों ने फीसवृद्धि का विरोध किया था, उनमें से भी कई लोगों ने अपनी सहमति जारी कर दी है।

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हाइकोर्ट से वापस ली गई रिट।

बातचीत से निकालेंगे समाधान
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक, अभी 105 पैरेंट्स फीस वृद्धि के खिलाफ हैं, उन्हें मीटिंग कर समस्या का समाधान निकालने को कहा गया है। बातचीत के जरिए ही उनकी समस्या का समाधान संभव है। इस दौरान यह भी कोशिश होगी कि अगर किसी पैरेंट्स की माली हालत ठीक नहीं तो स्कूल स्तर पर उनकी मदद की जाएगी।

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