Ghazipur UP Lok Sabha Election 2024: मन में कुछ अलग करने की तमन्ना और दिल में जीत का जज्बा हो तो आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है गाजीपुर के कुबेर राम की है, जो 65 की उम्र में परिवार चलाने के लिए रिक्शा चलाते हैं, लेकिन सदन में पहुंचने की चाहत इस कदर है कि 12 साल में 5वीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। उन पर डेढ़ लाख का कर्ज भी है, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वह पूरे दमखम से चुनाव लड़ना चाहते हैं
कुबेर राम गाजीपुर के बिरनो थाना क्षेत्र स्थित जयरामपुर में रहते हैं। राजनीति में दिलचस्पी तो है, सामाजिक मुद्दों पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। तमाम व्यस्ताओं के बावजूद वह देशदुनिया की हर छोटी बड़ी घटनाओं पर नजर रखते हैँ। जरूरत अनुसार, प्रतिक्रिया भी देते हैं।
सात बेटियों और दो बेटे के पिता हैं कुबेर राम
कुबेर राम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। परिवार चलाने के लिए 41 साल से रिक्शा चला रहे हैं। उन पर डेढ़ लाख का कर्ज भी है। इसके बावजूद पांचवीं बार चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। कुबेर राम ने बताया कि उनकी सात बेटियां और दो बेटे हैं। सभी बेटियों की शादी कर दी है। बेटों को सामर्थ अनुसार पढ़ाई लिखाई करा दी है।
2012 में लड़ा था पहला चुनाव
कुबेर राम के सियासत में उतरने की दिलचस्प कहानी है। 2009 में एक जनप्रतिनिधि लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे, कुबेर राम से सहयोग मांगा तो उन्होंने तन-मन और धन हर तरीके से मदद का आश्वासन दिया, लेकिन ऐन वक्त पर वह चुनाव लड़ने से पीछे हट गए। जनप्रतिनिधि की यह चाल कुबेर राम को रास नहीं आई। लिहाजा, वह खुद चुनाव मैदान में उतर गए। हालांकि, कुछ लोगों के दबाव के चलते कुबेर राम को नामांकन वापस लेना पड़ा।
2009 में दबाव के चलते वापस लेना पड़ा फार्म
2009 के लोकसभा चुनाव में कुबेर राम का धन धर्म दोनों चला गया। एक ओर दबाव के चलते वह चुनाव भी नहीं लड़ पाए, वहीं राजनीतिक प्रतिशोध में कुछ अराजक तत्वों ने उनकी झोपड़ी में आग लगा दी। आगजनी की इस घटना में कुबेरराम की घर गृहस्थी जलकर खाक हो गई, सियासी चेतना को लेकर उनके मन उठे सवाल हमेशा के लिए घर कर गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में कुबेर राम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जंगीपुर सीट से नामांकन किया। इस चुनाव में उन्हें एक हजार मत मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई, जिसमें चार हजार मत मिले। इसके बाद 2017 और 2022 में जखनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें भी जमानत जब्त हो गई थी। 2019 के चुनाव में उनका नामांकन निरस्त हो गया था।