Jaunpur kidnapping case: उत्तर प्रदेश के जौनपुर से सांसद रहे धनंजय सिंह को न्यायालय ने अपहरण मामले में दोषी पाया है। उन्हें कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। धनंजय सिंह पूर्वांचल के बाहुबली नेता हैं। बहुजन समाज पार्टी के सिम्बल पर 2009 में सांसद निर्वाचित हुए थे। इससे पहले दो बार विधायक भी रहे। 2020 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण में उनका नाम आया था।
किडनैपिंग और रंगदारी मामले में सुनाई गई सजा
अपर सत्र न्यायाधीश शरद त्रिपाठी की बेंच ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उसके साथी संतोष विक्रम को किडनैपिंग और रंगदारी मामले में मंगलवार को दोषी ठहराया था। हालांकि कोर्ट ने बुधवार यानी कि आज तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को अदालत ने फैसला सुना दिया।
2020 का है मामला
धनंजय सिंह को जिस मामले में सजा सुनाई गई है। वह मामला 10 मई, 2020 का है। इस मामले में नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल निवासी मुजफ्फरनगर ने लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं के तहत धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम पर FIR दर्ज कराई थी। एफआईआर में कहा था कि संतोष विक्रम ने दो साथियों के साथ मेरा अपहरण कर धनंजय के आवास पर ले गया। उसने बताया था कि धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गन पॉइंट पर गालियां खूब गालियां दी।
इस मामले में 109 दिन जेल में रह चुके धनंजय
धनंजय सिंह ने मैनेजर से कहा कि सड़क में कम गुणवत्ता वाली सामग्री लगाओ लेकिन उसने इनकार कर दिया। इसके बदले उन्होंने रंगदारी मांगी और डराया-धमकाया। हालांकि कुछ ही दिन में धनंजय सिंह पर केस दर्ज कराने वाला शपथ पत्र देकर मुकर गया। उसने तनाव में आकर केस दर्ज कराने की बात कही थी। इस मामले में धनंजय 109 जेल में भी रहे।
मै निर्दोष हूं- धनंजय
धनंजय सिंह ने कोर्ट में जज के सामने कहा कि मैं इस मामले में निर्दोष हूं। प्रोजेक्ट का मैनेजर भी अपने बयान से मुकर चुका है। हालांकि मंगलवार को कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था। बुधवार को कोर्ट ने धनंजय सिंह को 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। फिलहाल, कोर्ट के बाहर धनंजय के समर्थकों की काफी भीड़ लगी हुई है।