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उत्तरप्रदेश के कानपुर में बड़ी घटना हो गई। प्राइमरी स्कूल में 3 साल के बच्चे ने पानी समझकर टॉयलेट क्लीनर पी लिया। थोड़ी देर बाद मासूम उल्टियां करने लगा। अस्पताल में उसकी मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने हंगामा कर दिया।

Kanpur News: कानपुर में हैरान करने वाली घटना हो गई। पहली बार प्राइमरी स्कूल में पढ़ने पहुंचे 3 साल के बच्चे के साथ कांड हो गया। मासूम ने पानी समझकर टॉयलेट क्लीनर पी लिया। थोड़ी देर बाद बच्चा उल्टियां करने लगा। टीचर ने मासूम को घर पहुंचा दिया। हालत बिगड़ने पर परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे। मंगलवार(8 अक्टूबर) को देर शाम डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। मामला घाटमपुर थाना साढ़ का है। बच्चे की मौत के बाद हड़कंप मच गया। गुस्साए परिजनों ने रमईपुर-जहानाबाद मार्ग पर जाम लगा दिया। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला शांत कराया। 

एक हफ्ते पहले ही स्कूल जाना किया शुरू
साढ़ थाना क्षेत्र के असेनिया गांव निवासी रामबाबू पाल खेती-किसानी करता है। रामबाबू का तीन साल का बेटा निखिल एक हफ्ते से गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने जा रहा था। रोज की तरह मंगलवार को भी निखिल स्कूल गया। दोपहर 1 बजे निखिल ने पानी समझकर स्कूल के टॉयलेट में रखा टॉयलेट क्लीनर पी लिया। आस-पास खेल रहे बच्चों ने निखिल को क्लीनर पीते देखा तो स्कूल के शिक्षकों को बताया। 

परिजनों ने किया हंगामा 
शिक्षक निखिल को उसके घर लेकर पहुंचे। परिजनों को क्लीनर पीने की बात बताकर चले गए। थोड़ी बाद बच्चे को उल्टियां होने लगी। परिजनों ने स्कूल के शिक्षकों को जानकारी दी। इसके बाद परिजन बच्चे को जहानाबाद CHC लेकर पहुंचे। जहां से उसे फतेहपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। देर शाम डॉक्टरों ने बच्चे को घोषित कर दिया। बच्चे की मौत से गुस्साए परिजनों ने रमईपुर-जहानाबाद मार्ग पर जाम लगा दिया। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा दिया। पुलिस का कहना है कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

समय पर अस्पताल पहुंचा देते तो बच जाती जान
परिजनों ने स्कूल के शिक्षकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजन का कहना है कि बच्चे को स्कूल इसलिए भेजा था कि बच्चा बैठना सीख जाए। धीरे-धीरे स्कूल जाने की आदत हो जाएगी। फिर आगे स्कूल जाने में रोएगा नहीं। लेकिन अब तो बच्चा ही नहीं रहा। परिजन ने आरोप लगाया है कि स्कूल वाले अगर बच्चे को समय पर अस्पताल पहुंचा देते तो निखिल की मौत नहीं होती। 

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