लखनऊ। बनारस में बेटे ने पिता की चिता पर आखिरी भेंट के रूप में शराब गिराई। बनारसी पान और बीड़ी भी उनकी चिता पर रखी। बेटे ने कहा कि पिताजी को यह सबकुछ पंसद था। उनकी कोई इच्छा अधूरी न रहे। इसलिए अंतिम औपचारिकता पूरी की है। यह दृश्य जिसने भी देखा वह आश्चर्यचकित हो गया। लोग तो यह तक कहने लगे कि अल्हड़ हैं, यहां के वासी। मृत्यु पर शोक नहीं मनाते हैं। उत्सव के साथ अंतिम संस्कार करते हैं।
'धार्मिक मान्यता: काशी में मृत्यु होना मंगलकारी है'
मणिकर्णिका घाट पर श्राद्ध कराने वाले कहते हैं कि काशी में वरयात्रा से भी भव्य शवयात्रा होती है। मृत शरीर के साथ जुलूस देखकर एक बार भ्रम हो जाता है। लगता है कि कोई वरयात्रा द्वाराचार के लिए बढ़ रही है। यह भ्रम तब टूटता है, जब अंतिम यात्रा के नजदीक पहुंचने पर ढोल-नगाड़ों के बीच राम नाम सत्य है सुनाई पड़ता है। धर्मग्रंथों में भी लिखा है कि काशी में मृत्यु होना मंगलकारी है। जहां की विभूति आभूषण हो, जहां की राख रेशमी वस्त्र की भांति हो, वह काशी दिव्य एवं अतुलनीय है। धार्मिक मान्यता है कि जो जीव काशी में प्राण त्यागता है, उसे जन्म और मरण से मुक्ति मिल जाती है।