UP Lok Sabha Chunav 2024: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पांचवे चरण की वोटिंग से दो दिन पहले शुक्रवार 17 अप्रैल को लखनऊ में मीडिया से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने पीएम फेस, आरक्षण और संविधान बदलने के मुद्दे बेबाक राय रखी। कहा, नरेंद्र मोदी ही प्रमुख चेहरा हैं। 2024 ही नहीं बल्कि 2029 में भी वह भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।
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#WATCH केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "मैं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता होने के नाते कहना चाहता हूं कि 2024 में भी वे(नरेंद्र मोदी) भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे और 2029 में भी वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।" pic.twitter.com/ynT7LsReHf
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 17, 2024
यथावत रहेगी रिजर्वेशन की व्यवस्था
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, आरक्षण समाप्त करने का सवाल ही नहीं उठता। धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण के लिए जो व्यवस्था वर्तमान में है, वह यथावत चलती रहेगी। विपक्षी पार्टियां देश की जनता को गुमराह करके उनका समर्थन हासिल करना चाहती हैं।
संविधान की आत्मा ही बदल दी
संविधान बदलने के सवाल पर रक्षा मंत्री ने बताया कि संविधान में सबसे ज्यादा संशोधन तो कांग्रेस ने किया है। प्रस्तावना संविधान की आत्मा है। उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए, लेकिन 1976 में इंदिरा गांधी ने प्रस्तावना में भी बदलाव करने का काम किया।
#WATCH केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर RJD सांसद मनोज झा ने कहा, "...उनके पास संविधान को बदलने के कई तरीके हैं। गोलवलकर ने 'बंच ऑफ थॉट्स' लिखी थी, क्या उनमें से किसी ने कहा कि हम उस किताब को अस्वीकार करते हैं और हमारा उससे कोई लेना-देना नहीं है? इस पुस्तक (संविधान)… https://t.co/VQG6Ektkko pic.twitter.com/xecNuhyFiF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 17, 2024
- RJD सांसद मनोज झा ने पलटवार करते हुए कहा, भाजपा के पास संविधान बदलने के कई तरीके हैं। गोलवलकर ने 'बंच ऑफ थॉट्स' लिखी थी, जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण व्यवस्था का जिक्र है।
- RJD सांसद मनोज झा ने गृहमंत्री अमित शाह के रवैये से तो यही लगाता है कि उनके हाथों में न देश सुरक्षित है और न संविधान। पूछा-सरकार ने जनता को कितना रोजगार दिया?... नौकरियां ख़त्म करने से आरक्षण ही ख़त्म हो गया।
- RJD सांसद मनोज झा ने कहा, इंदिरा गांधी के पास 400 लोकसभा सीटें नहीं थीं। इसके बावजूद उन्होंने बांग्लादेश के गठन का बड़ा फैसला लिया, क्योंकि उनके पास हिम्मत और हौसला था, जो आपमें नहीं हो सकता।