लखनऊ: HDFC बैंक में काम करते-करते महिला अधिकारी की मौत, कुर्सी पर बैठे-बैठे ही थम गई सांसें

उत्तरप्रदेश के लखनऊ में मंगलवार (24 सितंबर) को दर्दनाक घटना हो गई। HDFC बैंक में काम करते-करते अचानक महिला अधिकारी कुर्सी से गिर गईं। अस्पताल पहुंचते ही उनकी मौत हो गई।;

Update:2024-09-25 14:18 IST
HDFC Bank Employee DiesHDFC Bank Employee Dies
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HDFC Bank Employee Dies: लखनऊ के HDFC बैंक में मंगलवार (24 सितंबर) को दर्दनाक घटना हो गई। गोमतीनगर के विभूतिखंड ब्रांच में काम करते-करते अचानक महिला अधिकारी कुर्सी से जमीन पर गिर गईं। साथी कर्मचारी लेडी अफसर को अस्पताल लेकर गए। डॉक्टर ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। डॉक्टर ने हार्ट अटैक से मौत की आशंका जताई है। हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद मौत का सही कारण सामने आएगा। 

लंच के लिए कुर्सी पर बैठते ही मौत 
जानकारी के मुताबिक, वजीरगंज निवासी सदफ फातिमा (45) HDFC बैंक की विभूतिखंड ब्रांच में एडिशनल डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट के पद पर थीं। मंगलवार को महिला अधिकारी लंच करने के लिए कुर्सी पर बैठी ही थी कि अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। साथी कर्मचारी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। 

साथियों ने वर्कप्लेस के तनाव को ठहराया जिम्मेदार
सदफ फातिमा के साथ काम करने वाले कर्मचारियों के मुताबिक, फातिमा पिछले कुछ समय से भारी दबाव में काम कर रही थीं। यह घटना तब सामने आई है जब पूरे देश में वर्कप्लेस में तनाव और उससे होने वाले नुकसान को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ समय पहले Ernst & Young (EY) के एक कर्मचारी की आत्महत्या के मामले में भी यही मुद्दा उठा था। ईवाई के इस स्टाफ ने कथित तौर पर 'ओवरवर्क' के कारण आत्महत्या कर ली थी।

अखिलेश यादव ने जताई चिंता
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। अखिलेश ने कहा कि  यह घटना देश में मौजूदा आर्थिक तनाव का संकेत है। अखिलेश ने कंपनियों और सरकारी विभागों से अपने कार्य करने के तरीके और प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस तरह की आकस्मिक मौतें हमारे कार्यस्थलों की स्थितियों पर सवाल उठाती हैं और यह देश की मानव संसाधनों की अपूरणीय क्षति है।

मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल का महत्व
अखिलेश यादव ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश की प्रगति का असली मापदंड सेवाओं या उत्पादों की वृद्धि नहीं, बल्कि लोगों की मानसिक स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और खुशी है। उन्होंने कहा कि कंपनियों को कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और संतुलित जीवन पर ध्यान देना चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। 

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