Mahakumbh 2025: मैनेजमेंट की सीख देगा महाकुंभ, IIT कानपुर के एक्सपर्ट तैयार कर रहे वर्ल्ड गाइड बुक

Mahakumbh World Guide Book: भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक प्रयागराज महाकुंभ शोध का विषय बन गया है। आईआईटी कानपुर के 20 फैकल्टी मेंबर महाकुंभ के प्रबंधन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जो भविष्य में होने वाले ऐसे आयोजनों के लिए न सिर्फ गाइड बुक बनेगी, बल्कि मैनेजमेंट के छात्रों की पढ़ाई में मदद करेगी।
प्रतिदिन 1 करोड़ श्रद्धालु
प्रयागराज महाकुंभ में 57 करोड़ (20 फरवरी तक) से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई है। औसतन हर दिन यहां 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम स्ननान करते हैं। श्रद्धालुओं की इस भीड़ का प्रबंधन अपने आप में चुनौतीपूर्ण है। विभिन्न संप्रदाय, मत-विचार और संतों-भक्तों के इस समागम में स्वच्छता, सेवा, सुरक्षा, अतिथि सत्कार, यातायात और साज-सज्जा पर शोधपरक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मार्च तक इसे वर्ल्ड गाइड बुक के रूप में तब्दील किया जाएगा।
प्रबंधन के लिए खास है महाकुंभ
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल के नेतृत्व में वर्ल्ड गाइड बुक बनाने का निर्णय लिया गया है। प्रबंधन की दृष्टि महाकुंभ यह बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयगाराज में लगने वाले कुंभ मेले दुनिया के चुनिंदा आयोजनों में शामिल हैं। श्रद्धालुओं की संख्या और प्रबंधन के लिहाज से यह महाकुंभ 2025 सबसे खास माना जा रहा है।
2019 में IIM बेंगलूरू ने बनाई थी रिपोर्ट
आईआईटी कानपुर के विभिन्न विभागों के 20 एक्सपर्ट महा्कुंभ के प्रबंधन पर आधारित रिपोर्ट बना रहे हैं। मेला प्रशासन से जुड़े अधिकारी ने बताया, 2019 में भी आईआईएम बेंगलूरू की टीम ने कुंभ प्रबंधन की खूबियों पर अध्ययन रिपोर्ट तैयार की थी। हालांकि, उसमें इंजीनियरिंग का पहलू शामिल नहीं था।
वर्ल्ड गाइड बुक की खासियत
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि महाकुंभ के प्रबंधन पर वर्ल्ड गाइड बुक बनाने का जिम्मा मिला है। विभिन्न टीमें अध्ययन में जुटी हैं। स्वच्छता, सुरक्षा, यातायात, भीड़ नियंत्रण, सेवा और अतिथि सत्कार जैसी अन्य बिंदु शामिल किए जाएंगे। ताकि, दुनिया के लिए आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। मेला प्रशासन के साथ कुछ बैठकें हो चुकी हैं। मार्च के अंत तक वर्ल्ड गाइड बुक तैयार होने की उम्मीद है।
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