Meerut stampede: उत्तर प्रदेश के मेरठ में पं. प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार( 20 दिसंबर) को भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। कथा स्थल पर करीब एक लाख लोग मौजूद थे। जैसे ही कथा शुरू हुई, लोग जल्दबाजी में अंदर जाने लगे। बाउंसर्स ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एंट्री रोकनी शुरू की। इसी दौरान धक्का-मुक्की बढ़ गई और भगदड़ का माहौल बन गया। कई महिलाएं और बुजुर्ग इस भगदड़ में दब गए।
कथा में VVIP के आने से बढ़ी अव्यवस्था
कथा स्थल पर रोजाना डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को VIP एंट्री के कारण अव्यवस्था बढ़ गई। मुख्य यजमान और भीड़ एक ही रास्ते से गुजर रहे थे। इस दौरान महिलाओं को बाउंसर्स ने अंदर जाने से रोक दिया। पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ने पर लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। करीब 15-20 महिलाएं जमीन पर गिर गईं, जिससे भगदड़ और तेज हो गई।
एक दिन में दो बार हुई भगदड़
शुक्रवार को भगदड़ की घटनाएं दो बार हुईं। पहली घटना सुबह 9:30 बजे VIP पास के लिए जुटी भीड़ के दौरान हुई। हालांकि, यह जल्द ही शांत हो गई। दूसरी बार दोपहर 1 बजे भगदड़ मची, जब कथा स्थल पर एंट्री के लिए लोग धक्का-मुक्की करने लगे। सुरक्षा इंतजामों के बावजूद पुलिस और प्रशासन इस स्थिति को संभालने में विफल रहे।
सुरक्षा के भारी इंतजाम भी साबित हुए नाकाफी
कथा स्थल पर सुरक्षा के लिए 1000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। ड्रोन और 5000 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। यहां 7 पार्किंग की व्यवस्था, एक मिनी अस्पताल, भोजन और स्वच्छ जल की सुविधा भी है। बावजूद इसके, भीड़ नियंत्रण में चूक हो गई। ट्रैफिक को डायवर्ट करने के बावजूद भारी वाहनों की समस्या बनी रही।
जुलाई में हाथरस में हुई थी भगदड़ की घटना
मेरठ की इस घटना ने 2 जुलाई को हाथरस के सिकंद्राराऊ में हुई भगदड़ की यादें ताजा कर दीं। उस हादसे में 123 लोगों की मौत हुई थी और 150 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस बार भी भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के इंतजाम सवालों के घेरे में हैं। आयोजकों और प्रशासन की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है।