दोनों दलों ने शुरू की लोकसभा चुनाव की तैयारी
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तैयारियां सभी राजनीतिक दलों ने कर दी है। यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। अमेठी सहित 17 सीटें कांग्रेस के पास हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हाल ही में यहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर पहुंचे थे। केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति इरानी भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।
अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास
अमेठी लोकसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था। तब से यह सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती रही है। संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी इस सीट से लगातार सांसद चुने जाते रहे हैं। लेकिन 2019 में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को आगे कर कांग्रेस की यह परंपरागीत सीट भी छीन ली। स्मृति इरानी यहां से दोबारा सांसद बनने को बेताब हैं।
अमेठी Lok Sabha सीट का जातिगत समीकरण
2013 में अमेठी लोकसभा क्षेत्र में 15,00,000 वोटर्स थे, जो 2019 में बढ़कर 17, 16,102 हो गए। जातिगत समीकरण की बात करें तो अमेठी में सर्वाधिक 26 फीसदी अनुसूचित जाति यानी दलित मतदाता हैं। इसके अलावा तकरीबन 30 फीसदी मुस्लिम, 16 फीसदी ब्राह्मण, 10 फीसदी क्षत्रिय, 16 फीसदी यादव-मौर्य और 10 फीसदी लोधी-कुर्मी मतदाता हैं। अमेठी में 66.5 प्रतिशत हिंदू 33.04 प्रतिशत मुस्लिम धर्म मानने वाले लोग रहते हैं।
2019 में अमेठी से राहुल को करारी हार
अमेठी के 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को यहां 4 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. जबकि राहुल को 4 लाख 13 हजार वोट ही मिल पाए थे। स्मृति ने 49.71 प्रतिशत और राहुल गांधी को 43.86 प्रतिशत वोट मिले। सपा-बसपा गठबंधन ने अपनी प्रत्याशी नहीं उतारा था। निर्दलीय प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा।