UP Lok Sabha Election BJP Congress Sp News: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की 12 सीटें क्रिकेट मैच की तरह फंसी रहीं। सपा-भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच यहां आखिरी राउंड तक आगे पीछे होते रहे। सबसे दिलचस्प मुकाबला फर्रूखाबाद और हमीरपुर में हुआ। यहां ऐन वक्त में ऐसा उलटफेर हुआ कि सारी भविष्यवाणियां फेल हो गईं। मेरठ, अमरोहा, बांसगांव व बदायूं सहित यूपी की दर्जन सीटों में एक-एक वोट की मारामारी देखने को मिली। समर्थक देर शाम तक दिल थाम कर बैठे रहे।
UP की इन लोकसभा सीटों में रहा क्लोज कांटेस्ट
लोकसभा | विजयी प्रत्याशी | मुख्य प्रतिद्वंदी | मार्जिन |
हमीरपुर | अजेन्द्र सिंह (SP) | पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल (BJP) | 2629 |
फर्ररुखाबाद | मुकेश राजपूत (BJP) | नवलकिशोर शाक्य (SP) | 2678 |
सलेमपुर | रामशंकर राजभर (SP) | रविन्द्र कुशवाहा (BJP) | 3573 |
बांसगांव | कमलेश पासवान (BJP) | सदल प्रसाद (Congress) | 3150 |
धौरहरा | आनंद भदौरिया (SP) | रेखा वर्मा (BJP) | 4449 |
फूलपुर | प्रवीण पटेल (BJP) | अमरनाथ मौर्य (SP) | 4332 |
मेरठ | अरुण गोविल (BJP) | सुनीता वर्मा (SP) | 10585 |
आंवला | नीरज मौर्या (SP) | धर्मेन्द्र कश्यप (BJP) | 15969 |
अलीगढ़ | सतीश गौतम (BJP) | बिजेन्द्र सिंह (SP) | 15647 |
कानपुर | रमेश अवस्थी (BJP) | आलोक मिश्रा (Congress) | 20968 |
अमरोहा | कंवर सिंह तंवर (BJP) | दानिश अली (Congress) | 28670 |
बदायूं | आदित्य यादव (SP) | दुर्विजय शाक्य (BJP) | 34991 |
- फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में पिछली बार भाजपा सवा दो लाख वोटों से जीती, लेकिन इस बार हारते हारते बची। शाक्य प्रत्याशी के चलते कुशवाहा, शाक्य और मौर्य मतदाता सपा में खाते में चले गए। जबकि, यह भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं। सपा-कांग्रेस के गठबंधन के चलते मुस्लिम मतदाता भी लामबंद रहा।
- हमीरपुर में भाजपा पिछली बार दो लाख 5 हजार वोटों से जीती थी, लेकिन इस बार 2629 वोटों से हार गई। सपा ने यहां लोधी समाज के अजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया था। इसलिए लोधी, यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता एकजुट हो गए। अग्निवीर योजना, संविधान और आरक्षण बड़ा मुद्दा रहा।
- बांसगांव में बसपा प्रत्याशी रामसमुझ ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था। सदल प्रसाद 2019 में बसपा प्रत्याशी थे। लिहाजा, कांग्रेस, बसपा और सपा के परंपरागत वोट एकजुट होकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन लगभग तीन हजार वोटों से पीछे रह गए।
- धौरहरा जातीय में भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा पिछले तीन बार से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में उन्होंने एक लाख वोटों से जीतीं, लेकिन इस चुनाव में क्षत्रिय, और ब्राह्मण मतदाताओं की नारागजी भारी पड़ी। यादव-मुस्लिम के साथ सवर्ण वोटर्स ने एकतरफा वोट कर दिया। रेखा का सवर्ण विरोधी बयान और महोली के जूता कांड ने भी असर डाला।
- फूलपुर में तीन लाख कुर्मी और ढाई लाख यादव मतदाता निर्णायक रहते हैं। मौर्य और मुस्लिम वोटर भी यहां पर्याप्त मात्रा में हैं। फूलपुर से नेहरू गांधी परिवार की लंबी लेगसी है। लिहाजा, कांग्रेस गठबंधन का सपा प्रत्याशी को फायदा मिला। हालांकि, चंद वोटों से वह चुनाव हार गए।
इन सीटों में सर्वाधिक अंतर
उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, रायबरेली और बुलंदशहर सहित कुछ सीटें छोड़ दें तो लगभग सभी करीबी मुकाबला हुआ है। कानुपर और प्रयागराज जैसे महानगरों में चंद हजार मतों से हार जीत का फैसला हुआ है। लखनऊ और वाराणसी में दिग्गज चेहरे होने के बादवजू जीत का मार्जिन काफी कम हो गया।