UP Assembly Leader of Opposition: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र से पहले समाजवादी पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष का ऐलान कर दिया। पार्टी के सीनियर विधायक माता प्रसाद पांडेय नेता प्रतिपक्ष और कमाल अख्तर मुख्य सचेतक बनाए गए हैं। नेता प्रतिपक्ष की रेस में शिवपाल यादव, इंद्रजीत सरोज और राम अचल राजभर जैसे सीनियर विधायक रेस में थे, लेकिन अखिलेश यादव ने जातिगत समीकरणों को साधते हुए माता प्रसाद पांडेय के नाम पर मुहर लगाई है।
UP विधानसभा में इन विधायकों को मिली जिम्मेदारी
नाम | पद | विधानसभा | जिला |
माता प्रसाद पांडेय | नेता प्रतिपक्ष | इटावा | सिद्धार्थनगर |
महबूब अली | अधिष्ठाता मंडल | अमरोहा | अमरोहा |
कमाल अख्तर | मुख्य सचेतक | कांठ | मुरादाबाद |
राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा | उप सचेतक | प्रतापगढ़ | प्रतापगढ़ |
अखिलेश यादव ने पीडीए फार्मूले के बाद नेता प्रतिपक्ष के तौर पर ब्राह्मण कार्ड खेला है। इस दौरान उन्होंने अमरोहा विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल, मुरादाबाद के कांठ से विधायक कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और प्रतापगढ़ से विधायक राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को विधानसभा का उप सचेतक बनाया है।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) July 28, 2024
कौन हैं माता प्रसाद पांडेय
माता प्रसाद पांडेय पार्टी के सबसे सीनियर (7 बार) विधायक हैं। मुलायम और अखिलेश सरकार में वह विधानसभा अध्यक्ष रहे। सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट से विधायक माता प्रसाद पहले मुलायम सिंह और अब अखिलेश यादव के करीबी हैं।
माता प्रसाद पांडेय का सियासी सफर
- माता प्रसाद पांडेय 1980 में जनता पार्टी से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 1985 में लोकदल और फिर 1989 में जनता दल के सिम्बल पर जीत दर्ज की। 1991 और 1996 में चुनाव हार गए। दोनों चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे।
- 2002 के चुनाव में माता प्रसाद ने सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2007 और 2012 में भी वह सपा से विधायक बने। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर हार गए। 2022 में माता प्रसाद 7वीं बार यूपी विधानसभा में निर्वाचित होकर पहुंचे हैं। वर्तमान में वह पार्टी के सबसे सीनियर विधायक हैं।
नेता प्रतिपक्ष पद के लिए यह थे मुख्य दावेदार
- शिवपाल यादव: जसवंतनगर से विधायक हैं। 6 टर्म विधायक और 2009 से 2012 तक नेता प्रतिपक्ष रहे। लोकसभा चुनाव में परिवार के 5 सदस्यों को टिकट देने के बाद बीजेपी परिवारवाद पर हमलावर है। शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद बीजेपी इस मुद्दे पर और हमलावर होगी।
- इंद्रजीत सरोज: कौशांबी की मंझनपुर सीट से 5 बार के विधायक व विधानसभा में उपनेता सदन हैं। मायावती सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे। बेटे पुष्पेंद्र सरोज कौशांबी से सांसद हैं। अनुभवी और राजनीतिक जानकार हैं। 1985 से 2017 तक बसपा सक्रिय नेता थे। बहुजन मूवमेंट में भरोसा रखते हैं। सरकार और संगठन के कामकाज का लंबा अनुभव है। पासी जाति से आने वाले इंद्रजीत सरोज सपा के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले में फिट बैठते हैं।
- रामअचल राजभर: अंबेडकरनगर की अकबरपुर सीट के विधायक रामअचल राजभर की नेता प्रतिपक्ष की रेस खूब चर्चा है। वह 6 बार विधायक और मायावती सरकार में परिवहन मंत्री रहे। राजभर वोटों में अच्छी पकड़ है। राजनीतिक जानकार हैं, अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले में फिट बैठते हैं। अति पिछड़ी जाति से आने वाले रामअचल को नेता विरोधी बनाकर अखिलेश यादव 2027 के लिए नया दांव खेल सकते हैं।
- मनोज पारस: बिजनौर के नगीना सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। सपा के पुराने नेता और अखिलेश के करीबी विधायक हैं। राजनीति का लंबा अनुभव है। सपा के PDA फॉर्मले पर फिट बैठते हैं। इनके पिता अमर सिंह रवि किसान हैं। मनोज गढ़वाल विवि में एडमिशन लिया, लेकिन पढ़ाई छोड़ दी। नीलम सिंह से शादी की है।
पल्ल्वी पटेल सहित 8 विधायक नहीं पहुंचे
यूपी विधानसभा सोमवार से सत्र शुरू हो रहा है। इससे पहले हुई सपा विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों को बुलाया गया था। लेकिन अभय सिंह, मनोज पांडेय, राकेश सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य नहीं पहुंचे। कौशांबी के सिराथू से सपा MLA पल्लवी पटेल भी बैठक में नहीं पहुंचीं। पिछले दिनों में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी।