Buransh Flower Blossoming: देवभूमि उत्तराखंड में प्रकृति ने रेड अलर्ट दिया है। राजकीय फूल बुरांश समय से पहले खिल गया है। लाल रंग का यह फूल पहाड़ी राज्य की खुशहाली का संकेत होता था, लेकिन इस बार यह खतरे की घंटी बजा रहा है। असमय खिलने से फूल की औषधीय क्षमता में संभावित कमी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। वैज्ञानिक रूप से रोडोडेंड्रोन के नाम से जाना जाता है। इसे औषधीय गुणों ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान लोगों की जान बचाई थी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रही है। इससे पहाड़ियां सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। बुरांश का समय से पहले खिलना इसी परिवर्तन का बड़ा उदाहरण है।
कब फूलता है बुरांश?
आम तौर पर बुरांश फूल मार्च और अप्रैल के दौरान खिलते हुए देखे जाते हैं। हालांकि, इस साल यह पैटर्न काफी बदलता दिख रहा है। आईसीएआर-सीएसआईआर के वैज्ञानिकों के अनुसार यह जलवायु परिवर्तन के कारण छद्म फूलना या जबरन फूलना है।
कृषि विज्ञान केंद्र (आईसीएआर-सीएसएसआरआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. पंकज नौटियाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इस साल जनवरी में न तो बारिश हुई न ही ठंड पड़ी। तापमान में 4 से 5 डिग्री तक की बढ़ोतरी हुई है। इसी परिवर्तन के परिणामस्वरूप जनवरी में मार्च की मौसम की स्थिति देखी गई। जिससे बुरांश में जल्दी फूल आने लगे।
औषधीय गुणों पर भी पड़ेगा असर?
डॉ. पंकज नौटियाल ने कहा कि असमय खिलने से फूल की औषधीय क्षमता में संभावित कमी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी की प्रचुरता के लिए प्रसिद्ध यह फूल पहाड़ी बीमारी और मौसमी बीमारियों को कम करने के लिए खाया जाता है। यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने में अपनी प्रभावशीलता के लिए पहचाना जाता है। फूल में हृदय, यकृत, त्वचा की एलर्जी और एंटीवायरल उद्देश्यों के लिए फायदेमंद औषधीय गुण होते हैं।
स्थानीय लोग सर्दियों से वसंत तक संक्रमण के दौरान अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, सूजन-रोधी और मधुमेह-विरोधी गुणों के लिए बुरांश के रस और बुरांश की चटनी को अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। लेकि जल्दी खिलने से इस फूल के चिकित्सीय मूल्य और अमृत के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। इसका असर उस क्षेत्र की आजीविका पर भी पड़ेगा जो इस फूल के रस को स्क्वैश और अन्य खाद्य उत्पादों के रूप में बेचने पर निर्भर है।
क्यों बुरांश के खिलने का बदला समय?
इस साल सर्दी कम पड़ी। बारिश कम हुई। इससे गर्मी बढ़ गई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम का सामान्य पैटर्न बदल रहा है। इस कारण पहाड़ी इलाकों में दिसंबर और जनवरी में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। इसके चलते प्रकृति में भी बदलाव आ रहा है।