Uniform Civil Code: मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का बड़ा ऐलान- उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता [UCC] अगले महीने होगी लागू

CM Pushkar Singh Dhami
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Uniform Civil Code: उत्तराखंड यूसीसी कानून नियम-निर्माण और कार्यान्वयन समिति ने यूसीसी नियमों पर अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी।  

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) जनवरी 2025 से लागू हो जाएगा। यह ऐलान बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। सीएम ने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जारी करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।

सीएम पुष्कर धामी ने कहा, "उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। यह कानून ‘सबका साथ, सबका विकास, और सबका विश्वास’ की भावना को आगे बढ़ाएगा और समाज को एक नई दिशा देगा। यह कानून खासतौर से देवभूमि की महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण की दिशा में काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने यह बात राज्य सचिवालय में आयोजित उत्तराखंड इन्वेस्टमेंट एं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट बोर्ड (UIIDB) की बैठक के दौरान कही।

कैसे हुआ यूसीसी का गठन?

  • मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि मार्च 2022 में नई सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की।
  • समिति की रिपोर्ट के आधार पर समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 को राज्य विधानसभा ने 7 फरवरी 2024 को पारित किया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद 12 मार्च 2024 को इसका नोटिफिकेशन जारी हुआ था।

18 अक्टूबर को सौंपा गया मसौदा
मुख्यमंत्री को 18 अक्टूबर 2024 को यूसीसी के नियम निर्माण और कार्यान्वयन समिति द्वारा ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी गई। इस रिपोर्ट में शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन, लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण और उत्तराधिकार से संबंधित नियम शामिल हैं।

समान नागरिक संहिता क्या है?
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का उद्देश्य देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान कानून लागू करना है। इसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और भरण-पोषण जैसे मुद्दों को समान रूप से संचालित किया जाएगा। यह संविधान के निर्देशात्मक सिद्धांतों का हिस्सा है।

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