Ballistic Missile Agni Prime: सामरिक बल कमान (SFC) ने भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के साथ मिलकर बुधवार, 3 अप्रैल की रात बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम (Agni Prime) का सफल परीक्षण किया। ओडिशा में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड से उड़ान भरने वाली यह मिसाइल हल्के मटेरियल से बनी है। यह मिसाइल अग्नि-1 की जगह लेगी। अग्नि प्राइम ने टेस्ट में सभी मानकों को पूरा किया।
लॉन्चिंग के वक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड के प्रमुख, डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, एसएफसी और सशस्त्र बलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मिसाइल का सफल विकास और शामिल होना भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को और बढ़ाएगा।
नेक्स्ट जेनरेशन की मिसाइल
अग्नि प्राइम मिसाइल नेक्स्ट जेनरेशन यानी अगली पीढ़ी की मिसाइल है। अग्नि सीरीज की मिसाइलों में से ये बेहद घातक, आधुनिक और मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे भारत की स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के तहत संचालित किया जाएगा।
अग्नि प्राइम की 8 खासियत
- इसे अग्नि पी नाम से भी पुकारा जाता है।
- अग्नि प्राइम मिसाइल की लंबाई 34.5 फीट है। वजन 11 हजार किलो है।
- इस पर मल्टीपल इंडेपेंडटली टारगेटेबल री एंट्री व्हीकल वॉरहेड लगा सकते हैं।
- मिसाइल की नाक पर 1500 से 3000 किलो वजन का वॉरहेड लगाया जा सकता है।
- मतलब इससे एक साथ कई टारगेट्स पर हमला कर सकते हैं।
- यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- सॉलिड फ्यूल से उड़ान भरने वाली मिसाइल है।
- इसे बीईएमएल टट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जा सकता है।
भारत ने कब बनाया इसे?
अग्नि प्राइम मिसाइल को चीन को जवाब देने के लिए बनाया गया है। चीन ने डीएफ-12 डी और डीएफ-26 बी मिसाइलें बनाईं तो इसके जवाब में भारत ने एरिया डिनायल वेपन के तौर पर इस मिसाइल का निर्माण किया। अग्नि-1 सिंगल स्टेज मिसाइल थी। जबकि अग्नि प्राइम दो स्टेज की हैं। अग्नि प्राइम का वजन इसके पिछले वर्जन से हल्का है।