Neuralink Human Recipient Brain Implant Updates: दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क (Elon Musk) ने मंगलवार को विज्ञान की दुनिया के एक बड़े अविष्कार की घोषणा की। उनकी स्टार्टअप न्यूरालिंक ने पहले मानव पेशेंट के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप प्रत्यारोपित (Implant) किया है। जिसका परिणाम अच्छा है। यह डिवाइस एक छोटे सिक्के के आकार का है, जो इंसानी दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन चैनल बनाएगा। अगर ह्यूमन ट्रायल कामयाब रहा तो चिप के जरिए दिव्यांगों को नया जीवन मिल सकेगा। पैरालिसिस से पीड़ित मरीज सोचकर कंप्यूटर चला सकेंगे। नेत्रहीन भी देख सकेंगे।
इस बात की जानकारी खुद एलन मस्क ने दी है। उन्होंने मंगलवार को घोषणा की कि एलन मस्क, सात वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा स्थापित एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी न्यूरालिंक ने अपने पहले मानव पेशेंट में एक ब्रेन चिप का प्रत्यारोपण किया है। पेशेंट अब ठीक हो रहा है। प्रारंभिक परिणाम आशाजनक हैं। मस्क के मुताबिक, न्यूरालिंक के पहले उत्पाद का नाम 'टेलीपैथी' होगा।
सितंबर 2023 में मिली थी मंजूरी
एलन मस्क ने न्यूरालिंक स्टार्टअप को 2016 में लॉन्च किया था। स्टार्टअप ने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से सितंबर 2023 में ह्यूमन ट्रायल के लिए मंजूरी हासिल की थी। मंजूरी मिलने के बाद पेशेंट भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड की चोट के कारण क्वाड्रिप्लेजिया से पीड़ित लोग और एएलएस (एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस) वाले लोग इस ट्रायल के लिए पात्र बताए गए थे। उनकी न्यूनतम उम्र 22 साल होनी चाहिए। स्टडी को पूरा होने में 6 साल लगेंगे। इस दौरान प्रतिभागी को स्टडी रिलेटेड कॉस्ट, जैसे साइट आने जाने का ट्रैवल एक्सपेंस मिलेगा।
ब्रेन और कंप्युटर के बीच बनाता है चैनल
पिछले साल फर्म ने अपनी वेबसाइट पर इस स्टडी को 'प्राइम' नाम दिया था। जिसका मतलब सटीक रोबोटिक रूप से प्रत्यारोपित मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस है। न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी का लक्ष्य मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा कम्युनिकेशन चैनल बनाना है। ट्रायल के जरिए कंपनी यह भी देखना चाहती है कि डिवाइस मरीजों पर कैसे काम कर रहा है। न्यूरालिंक के एन1 इम्प्लांट और आर1 सर्जिकल रोबोट की सेफ्टी चेक भी की जाएगी।
स्टडी के दौरान क्या होता है?
आर1 रोबोट का उपयोग एन1 इंप्लांट के अति सूक्ष्म और लचीले धागों को सर्जरी द्वारा मस्तिष्क के उस क्षेत्र में रखने के लिए किया जाता है, जो मूवमेंट इंटेशन को कंट्रोल करता है। एक बार स्थापित होने के बाद एन1 इम्प्लांट कॉस्मेटिक रूप से गायब हो जाता है और इसका उद्देश्य मस्तिष्क के संकेतों को वायरलेस तरीके से एक ऐप पर रिकॉर्ड करना और प्रसारित करना है, जो इंटेंशन मतलब सोच को डिकोड करता है। कंपनी के अनुसार, इंसान सिर्फ सोचने भर से कंप्यूटर कर्सर या कीबोर्ड को नियंत्रित कर सकता है।