Logo
Digital Arrest Fraud: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 17 हजार से अधिक वॉट्सऐप अकाउंट्स को ब्लॉक किया।

Crackdown on Digital Arrest Fraud: केंद्र सरकार ने ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 हजार से अधिक वॉट्सऐप अकाउंट्स ब्लॉक किए। गृह मंत्रालय (MHA) के मुताबिक, इन अकाउंट्स का इस्तेमाल साइबर क्राइम के नए हथियार डिजिटल गिरफ्तारी के लिए किया जा रहा था। सरकार ने जिन WhatsApp अकाउंट्स पर एक्शन लिया, इनमें ज्यादातर कंबोडिया, म्यांमार, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से लिंक हैं। जहां से इनका यूज भारत में लोगों को ठगने के लिए किया जा रहा था। बता दें कि इस साल जनवरी से अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के 92 हजार से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। 

यह कार्रवाई गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर द्वारा की गई, जो पीड़ितों द्वारा कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर की गई शिकायतों के आधार पर है। गृह मंत्रालय ने शिकायतों की जांच में संदिग्ध पाए गए अकाउंट्स को चिह्नित किया और वॉट्सऐप को इन नंबरों को ब्लॉक करने का निर्देश दिया।

ये भी पढ़े-ः Prasar Bharati का OTT प्लेटफॉर्म वेव्स लॉन्च: 65 चैनल्स पर 12 से अधिक भाषाओं में देख सकेंगे न्यूज और पसंदीदी शो, जानें लाभ

गिरोह का कैसे हुआ पर्दाफाश 
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के आधार पर जांच में कंबोडिया, म्यांमार और लाओस से धोखाधड़ी करने वाले कॉल सेंटरों का खुलासा हुआ था। इनमें से ज्यादातर साइबर अपराधी कंबोडिया स्थित चीनी कैसीनो के कॉल सेंटरों से ठगी को अंजाम दे रहे थे। इसके अलावा जांच में खुलासा हुआ है कि भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया ले जाया जाता है और फिर उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध के दलदल में धकेल दिया जाता है।

डिजिटल अरेस्ट के 92 हजार केस दर्ज
गृह मंत्रालय की साइबर विंग के सूत्रों ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर अपराधी रोजाना करीब 6 करोड़ रुपए की ठगी कर रहे थे। इस साल जनवरी से अक्टूबर 10 महीने में ही ठगों ने लोगों को 2140 करोड़ रुपए का चूना लगाया। इस अवधि में अक्टूबर 2024 तक साइबर विंग ने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े 92,334 मामले दर्ज किए।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?  
डिजिटल अरेस्ट या गिरफ्तारी एक तरह का फरेब है, जिसमें साइबर अपराधी कानून प्रवर्तन एजेंसियों का डर दिखाकर आम नागरिकों को वर्चुअली अरेस्ट करते हैं। वे अधिकारियों की वेशभूषा में किसी एजेंसी या पुलिस स्टेशन जैसे दिखने वाले कमरे में बैठते हैं और वीडियो कॉल करके यूजर्स को धमकाते हैं। फिर कार्रवाई या गिरफ्तारी से बचने के लिए उनसे पैसों की मांग करते हैं। पीड़ितों पर बड़ी रकम ट्रांसफर करने के लिए दबाव भी बनाया जाता है। ये धोखेबाज सीबीआई एजेंट, आयकर अधिकारी या कस्टम अधिकारी बनकर लोगों पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं।

पीएम मोदी ने किया था अलर्ट 
पिछले महीने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 'डिजिटल अरेस्ट' को लेकर देशवासियों को सतर्क किया था और उन्हें साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने का आग्रह किया था।

5379487