Success Story: आप किसी ऐसे शख्स से मिले हैं जो इंजीनियर की अच्छी खासी नौकरी छोड़ कबाड़ीवाला बनने की ख्वाहिश रखता हो। यदि नहीं मिले तो ये कहानी पढ़िए। यह दो युवाओं के संघर्ष और की ऐसी कहानी है जो सबसे ज्यादा युवाओं की आबादी वाले भारत के लिए एक मील का पत्थर का साबित हो सकती है।(Success Story)
दो दोस्तों के नए स्टार्टअप की कहानी
ये ऐसे दो युवाओं की कहानी है, जिनके पास इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस भरने के पैसे भी नहीं होते थे। परिवार ने संघर्षों से जूझकर उन्हें इंजीनियर बनाया लेकिन वे "द कबाड़ीवाला" बन गए। ये कहानी कंपनी के को-फाउंडर अनुराग असाटी और कवींद्र रघुवंशी हैं। जो आज करोड़ों की 'द कबाड़ीवाला' (The Kabadiwala) कंपनी चला रहे हैं।
साल 2015 में स्टार्टअप शुरू किया
इंजीनियर अनुराग असाटी और कवींद्र रघुवंशी ने साल 2014 में "द कबाड़ीवाला" नाम से स्टार्टअप की शुरुआत की थी। इसके लिए वेबसाइट तैयार की और काम शुरू किया। शुरुआत में कई बार गलतियां भी हुईं। लेकिन दोनों ने गलतियों से बहुत कुछ सीखा। कबाड़ीवाला को पहला ऑर्डर उनके एक जूनियर ने दिया था। इसके साथ ही सलाह भी दी थी कि इसकी जगह कोई नौकरी कर लो। अच्छी बात यह कि आज उनके स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर मार्च 2023 तक 107 मिलियन डॉलर था।
कैसे आया 'द कबाड़ीवाला' का आइडिया
अनुराग असाटी मध्य प्रदेश के दमोह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। जब वो इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में थे तो एक दिन घर का कबाड़ बेचने के लिए उनको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसको लेकर उन्होंने अपने सीनियर कवींद्र रघुवंशी से बात की। इसके बाद अनुराग नौकरी करने लगे। लेकिन जल्द ही उन्होंने जॉब छोड़ दी और इस आइडिया पर काम करना शुरू किया।
कंपनी का कारोबार
कंपनी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो घरेलू कबाड़(जैसे अखबार, पेपर और स्क्रैप सामग्री) को बेचने के लिए डोस्टेप सेवा प्रदान(Door Step Services) करती है। 'द कबाड़ीवाला' का मुख्यालय मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में है। कंपनी का कारोबार कई शहरों में फैला है।