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World Autism Day: ऑटिज्म एक बीमारी है, जिसमें बच्चे को बातचीत, पढ़ने-लिखने और मेलजोल में परेशानियां आती हैं, लेकिन भोपाल के बंदीखेड़ी में आनंदम आटिज्म मित्र सोसायटी ने बेहतर अनुकूल महौल देकर ग्राफिक, पेंटिंग और कुकिंग में मास्टर बना दिया।

World Autism Day: आटिज्म नाम सुनते ही लगता है कि इस समस्या से ग्रसित बच्चे का विकास कैसे होगा, ऑटिज्म जिसे मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder)  कहते हैं। यह विकास संबंधी गड़बड़ी है। ऑटिस्टिक बच्चे को बातचीत करने में पढ़ने-लिखने और मेलजोल में परेशानियां आती हैं, लेकिन यदि कुछ ऐसा माहौल मिल जाए जहां न केवल यह बच्चे बात-चीत कर पाएं, बल्कि हुनर को तराश सकें तो क्या कहने। कुछ ऐसा ही नजारा भोपाल के बैरसिया तहसील के बंदीखेड़ी गांव में देखने को मिला है। 

बंदीखेड़ी गांव की आनंदम आटिज्म मित्र सोसायटी आवासीय परिसर में आटिज्म पीड़ित बच्चे न केवल ब्लाक प्रिंट, पेंटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, मोतियों से माला तैयार करने में एक्सपर्ट हैं, बल्कि मठरी लड्डू जैसे कुकिंग आयटम्स भी बनाने में उस्ताद हैं।

बेटे की हालत देख कुछ कर गुजरने की इच्छा हुई
संस्था के प्रेसिडेंट एसके श्रीवास्तव ने बताया, मेरा बेटा मनु आटिज्म डिस्आर्डर से ग्रसित है। ईलाज के लिए हमने काफी प्रयास किए, उसी दौरान मुझे लगा कि आटिस्टिक डिस्आर्डर से ग्रसित बच्चों के जिन पैरेंट्स के पास साधन नहीं होते होंगे, वे किस तरह से अपने बच्चे का इलाज कराते होंगे। लिहाजा, हमने सोशल मीडिया ग्रुप बनाया, जिसमें कई आटिस्टिक बच्चों के पैरेंट्स जुड़ गए। 

आटिज्म पीड़ित बच्चे की मौत ने झकझोरा 
एसके श्रीवास्तव के मुताबिक, 2020 में कोरोना काल में आटिज्म पीड़ित चीनी बच्चे की मौत ने हम सबको झकझोर दिया। माता-पिता का निधन भी कोरोना से हो गया था। इसके बाद देखभाल के अभाव में आटिज्म पीड़ित बच्चे ने भी दम तोड़ दिया। एसके श्रीवास्तव और अन्य पांच लोगों ने मिलकर आनंदम संस्था बनाई। सभी फाउंडर्स के बच्चे आटिज्म पीड़ित हैं। इस संस्था में देशभर के 23 बच्चे जुड़े हैं।  

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Anandam Autism Mitra Society Bhopal

मित्रों को भेंट करते हैं बच्चों के बनाए आयटम्स  
श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे इस आवासीय परिसर में बच्चों के लिए न केवल बिहेवियरल थैरेपी होती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिसमें यह बच्चे ब्लाक प्रिंट, पेंटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, मोतियों से माला तैयार करना, पेपर बैग, की-चेन, लिफाफे, होम डेकोरेटिव आयटम्स के साथ साथ मठरी, लड्डू भी बना लेते हैं। जिसमें इन बच्चों द्वारा बने इन आयटम्स को आनंदम में आने वाले लोगों द्वारा या अन्य पैरेंट्स द्वारा खरीदकर अपने घरों में डेकोरेट किया जाता है या कई बार यह लोग इन आयटम्स को अपने मित्रों को भेंट स्वरुप भी देते हैं। 

इसलिए खास है आनंदम

  • सीसीटीवी कैमरे के जरिए अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा व देखभाल पर निगाह रखते हैं।
  • योग-व्यायाम, खेलकूद, नृत्य, संगीत, आर्ट एवं क्राफ्ट समेत कई गतिविधियां उनके मानसिक विकास के लिए कराई जाती हैं।
  • रविवार को सभी बच्चों का पूरा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
  • यहां पीड़ितों को आक्यूपेशनल थेरेपी, सेंसरी थेरेपी दी जाती है।

सर्वसुविधायुक्त आवासीय परिसर ‘आनंदम’
तीन एकड़ में बने इस खूबसूरत आवासीय स्थल में बड़ा सा खेल मैदान, मंदिर, स्विमिंग पूल, झूले, क्रिकेट नेट, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबाल कोर्ट, ओपन स्टेज आदि बने हैं। इन छह लोगों ने आपस में राशि एकत्र कर डेढ़ करोड़ रुपये से जुलाई 2021 में इसे तैयार किया है। 

रिपोर्ट: मधुरिमा राजपाल, भोपाल 

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