06 Sep 2024
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के 8 स्वरूप के दर्शन करें। मान्यता है कि इन सभी मंदिरों के दर्शन मात्र से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। ये हैं गणेश मंदिर के आठों रूप।
श्री मयूरेश्वर मंदिर: महाराष्ट्र के मोरेगांव में बना ये मंदिर भगवान गणेश के अष्टविनायक गणेश मंदिर में से एक है। मंदिर में भगवान गणेश का मयूरेश्वर या मोरेश्वर रुप में है।
सिध्दिविनायक मंदिर: भगवान गणेश का दूसरा अष्टविनायक मंदिर पुणे लगभग 48 किमी दूरी भीमा नदी के किनारे बना है। मान्यता है कि इसे स्वयं भगवान विष्णु ने स्थापित किया था।
बल्लालेश्वर पाली मंदिर: यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ से 28 किलोमीटर दूर पाली गांव में बना है। यह मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका नाम उनके भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है।
वरदविनायक मंदिर: यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड गांव में बना हुआ है। इसकी पौराणिक कथा ऋषि विश्वामित्र से जुड़ी है। इस मंदिर में नंददीप नाम का दीपक कई सालों से जल रहा है।
चिन्तामणि मंदिर: भगवान गणेश का पांचवा अष्टविनायक मंदिर पुणे जिले के थेऊर में है। मान्यता है कि जब मन बहुत परेशान हो यहां के दर्शन मात्र से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
गिरिजात्मज मंदिर: गिरजात्मज का अर्थ है गिरिजा यानि माता पार्वती के पुत्र गणेश। यह गणपति मंदिर अष्टविनायक में छठे स्थान पर है। जो लेन्याद्री पर्वत पर एक गुफा में स्थित है।
विघ्नेश्वर मंदिर: भगवान गणेश अष्टविनायक का सातवां मंदिर ओझर में है। ये मंदिर भगवान गणेश द्वारा विघ्नासुर के वध से जुड़ा है। जिसका अर्थ है बाधाओं को दूर करने वाले भगवान।
महागणपति मंदिर: महागणपति मंदिर अष्टविनायक का अंतिम और प्रमुख मंदिर है। जो पुणे के रांजणगांव में स्थित है।