Bangladesh Curfew: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध में हो रही हिंसा के बीच पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है। यह घोषणा सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने शुक्रवार (19 जुलाई) को की। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने यह फैसला पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के बाद लिया। राजधानी ढाका में किसी भी तरह की सभा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हिंसा में अब तक 105 लोगों की मौत
इस हफ्ते छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में अब तक 105 लोगों की मौत हो चुकी है। अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को ही 17 लोगों की मौत हो गई। स्वतंत्र टेलीविजन ने बताया कि 30 लोगों की मौत हुई है। एसोसिएटेड प्रेस के एक रिपोर्टर ने ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 23 शव देखे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सभी लोगों की मौत शुक्रवार को हुई या नहीं।
नेपाल और भूटान के पर्यटक भी निकाले गए
बांग्लादेश में हिंसा बढ़ने के बाद से अब तक 405 भारतीय छात्र घर लौट चुके हैं। भारतीय छात्रों को डावकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश से निकाला गया है। इनमें से लगभग 80 छात्र मेघालय के हैं और बाकी अन्य राज्यों के हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को बताया कि नेपाल और भूटान के कुछ छात्र और पर्यटक भी बांग्लादेश से निकाले गए हैं।
क्या है आरक्षण विरोधी प्रदर्शन की वजह
बांग्लादेश में 1971 में स्वतंत्रता के बाद 80% कोटा सिस्टम लागू किया गया था। इसमें 30% आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए, 40% पिछड़े जिलों के लिए और 10% महिलाओं के लिए था। 2018 में चार महीने के छात्र प्रदर्शनों के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम को समाप्त कर दिया था, लेकिन पिछले महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण देने का आदेश दिया। इससे छात्रों में गुस्सा भर गया है।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर विवाद
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों का क्रेज भारत की तरह ही है। हर साल 4 लाख से अधिक छात्र बांग्लादेश पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) की 3 हजार नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। आरक्षण की अनुपस्थिति के कारण मेरिट का दबदबा था, लेकिन अब छात्रों को डर है कि अधिकतर सीटें 'कोटा वाले' लोगों के पास चली जाएंगी। छात्रों की मांग है कि सभी के लिए समान अधिकार होना चाहिए और मेरिट का ही चयन होना चाहिए।
सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव
सरकार ने कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बातचीत से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि बातचीत और गोलीबारी साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति पर नजर रखने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।