क्या शेख हसीना की घर वापसी होगी? बांग्लादेश सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री को ढाका भेजने के लिए लिखा पत्र

Sheikh Hasina back to Bangladesh: बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत को शेख हसीना को वापस भेजने के लिए पत्र लिखा है। सोमवार, 23 दिसंबर को बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने भारतीय सरकार को एक "नोट वर्बल" भेजा गया है, जिसमें हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए बांग्लादेश वापस भेजने की मांग की गई है।
शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में गिरफ्तारी वारंट जारी
बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद 5 अगस्त, 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आ गई थीं। तब से 77 वर्षीय हसीना भारत में ही निर्वासन के तहत रह रही हैं। ढाका स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों और सैन्य और अधिकारियों के खिलाफ "मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार" के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।
शेख हसीना की घर वापसी की तैयारी?
गृह सलाहकार जहांगिर आलम के कार्यालय से विदेश मंत्रालय को हसीना को वापस बांग्लादेश भेजने को लेकर पत्र भेजा गया है। आलम ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है और इसी के तहत हसीना को वापस लाया जा सकता है।
हिंसा में 1,500 लोगों की गई जान
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के अनुसार, हसीना सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में लगभग 1,500 लोग मारे गए और 19,931 अन्य घायल हुए। अक्टूबर में, कानून सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा कि अगर भारत ने प्रत्यर्पण संधि के किसी प्रावधान का हवाला देकर हसीना को वापस भेजने से इनकार किया, तो बांग्लादेश इसका कड़ा विरोध करेगा।
सितंबर में पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में यूनुस ने कहा कि "हसीना का भारत में रहते हुए राजनीतिक बयान देना दोनों देशों के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।" उन्होंने यह भी कहा कि हसीना को चुप रहना चाहिए जब तक बांग्लादेश सरकार उनकी वापसी की मांग नहीं करती।
असंवैधानिक रूप से सत्ता पर किया गया कब्जा: शेख हसीना
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना ने इसे असंवैधानिक बताया था। भारत में शरण लेने वाली हसीना ने कुछ समय पहले बंगाली में दिए गए एक बयान में कहा कि "राष्ट्र विरोधी समूहों" ने असंवैधानिक रूप से सत्ता पर कब्जा किया है। उन्होंने कहा, "फासीवादी यूनुस के नेतृत्व वाले इस अलोकतांत्रिक समूह की लोगों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है। वे सत्ता पर कब्जा कर रहे हैं और सभी जन कल्याण कार्यों में बाधा डाल रहे हैं।"
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