Bangladesh Hindu Attack: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने दावा किया कि पिछले साल अल्पांख्यकों के पर अत्याचार की 1,769 घटनाएं सामने आई जिनमें से 1,234 'राजनीतिक' थीं बांग्लादेश सरकार ने केवल 20 घटनाओं को 'सांप्रदायिक' माना गया। यूनुस सरकार का यह बयान विवादों के घेरे में है, क्योंकि पीड़ितों में बड़ी संख्या हिंदुओं की है। सवाल यह है कि अगर ज्यादातर घटनाएं राजनीतिक थीं, तो निशाना सिर्फ हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय क्यों बने?

हिंसा की घटनाओं पर क्या कहती है पुलिस रिपोर्ट?
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना के 5 अगस्त 2024 को सत्ता छोड़ने के बाद से 82.8% घटनाएं केवल एक दिन में हुईं। पुलिस ने 134 सांप्रदायिक हिंसा की शिकायतें दर्ज कीं, जिनमें से 53 मामलों में 65 दोषियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का दावा है कि इन घटनाओं की जांच के लिए एक हेल्पलाइन और व्हाट्सएप नंबर भी शुरू किया गया है। हालांकि, सवाल यह है कि क्या इन उपायों से अल्पसंख्यकों को न्याय मिल सकेगा?

क्या है 'बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद' का दावा?
परिषद का कहना है कि इन हिंसक घटनाओं में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के धार्मिक स्थलों और संपत्तियों को खास निशाना बनाया गया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि ज्यादातर घटनाएं शेख हसीना के शासन के अंत के तुरंत बाद हुईं। इसने सरकार पर लीपापोती का आरोप लगाते हुए कहा कि पीड़ितों की शिकायतों को दबाया जा रहा है और सच्चाई को छिपाने की कोशिश हो रही है।

यूनुस सरकार का जीरो-टॉलरेंस पॉलिसी का दावा
यूनुस सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा के प्रति 'जीरो-टॉलरेंस' नीति की बात कही है। बयान में कहा गया है कि पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा और दोषियों को जल्द सजा दी जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने धार्मिक नेताओं से भी सहयोग मांगा है। हालांकि, विपक्ष और अल्पसंख्यक समुदाय इसे महज दिखावा मान रहे हैं।यूनुस सरकार जहां घटनाओं को राजनीतिक बता रही है, वहीं हकीकत यह है कि पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार की नीतियां सच में असरदार साबित होती हैं या यह केवल बयानबाजी तक सीमित रहती है।

क्या हिंसा पर राजनीति भारी पड़ रही है?
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों ने भारत को भी चिंतित कर दिया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिसंबर 2024 में ढाका की यात्रा के दौरान इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। भारत ने साफ कहा कि वह बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सजग है। बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों ने कई सवाल खड़े किए हैं।