Bangladesh Supreme Court: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश को अवैध करार दिया जिसमें सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को बनाए रखने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब 93% सरकारी नौकरियां (government jobs) मेरिट के आधार पर भरी जाएंगी। सिर्फ 7% पद 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित होंगे। यह फैसला बांग्लादेश के युवाओं के लिए बड़ी राहत की खबर है।
कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों का आंदोलन
बांग्लादेश में पहले सरकारी नौकरियों में 56% पद आरक्षित थे। इनमें से 30% स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10% पिछड़े जिलों के लिए, 10% महिलाओं के लिए, 5% अल्पसंख्यक समूहों के लिए और 1% विकलांग लोगों के लिए आरक्षित थे। छात्रों ने 30% आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए थे। (Student protests) इस कारण 2018 में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। छात्रों का कहना था कि कोटा प्रणाली उनके करियर के अवसरों को सीमित कर रही है।
अदालत के फैसले के बाद शुरू हुई हिंसा
2018 में शेख हसीना सरकार ने कोटा प्रणाली को निलंबित कर दिया था। लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने पिछले महीने कोटा प्रणाली को बनाए रखने का आदेश दिया। इसके बाद पूरे बांग्लादेश में फिर से हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। (Violent protests) प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और बसों व ट्रेनों को आग लगा दी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी।
बांग्लादेश में अब तक 133 लोगों की मौत
प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है। 3000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। (Civil unrest in Bangladesh) इस हिंसा ने देश की रेल सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर बुरा असर डाला है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आंदोलनकारियों की तुलना पाकिस्तान समर्थकों से की, जिससे तनाव और बढ़ गया। इस बयान ने छात्रों को और भड़काया और उन्होंने आक्रामक नारेबाजी शुरू कर दी।
शेख हसीना के बयान से बिगड़ा माहौल
प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,' अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?' इस बयान ने छात्रों के गुस्से को और बढ़ा दिया। उन्होंने इस पर आक्रामक नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे विरोध प्रदर्शन और भी उग्र हो गए। आलम यह है कि फिलहाल बांग्लादेश की सड़कों पर अशांति का माहौल है और हालात को नियंत्रित करने के लिए सेना तैनात करनी पड़ी है।