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20 Indian labour's stranded in Jordan: मजदूरों का दावा है कि वे भारतीय दूतावास से कई बार संपर्क कर चुके हैं। हालांकि बार बार अनुरोध किए जाने के बाद भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा।

20 Indian labour's stranded in Jordan: (गौरव प्रियंकर की रिपोर्ट): भारत से रोजी रोटी की तलाश में जॉर्डन (Jordan) गए 120 मजदूर वहां फंस गए हैं। इनमें बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और ओडिशा समेत कई राज्यों के मजदूर शामिल हैं। इनमें से बहुत सारे मजदूर दो साल पहले विदेश गए थे। इन मजदूरों में से कुछ के पास तो पासपोर्ट हैं, वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिनका पासपोर्ट कंपनी के पास जमा है। मजदूरों का दावा है कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है।

बिहार के जुनैद ने सुनाई आपबीती
मजदूरों में शामिल बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले मोहम्मद जुनैद ने हरिभूममि से संपर्क किया। उन्होंने बातचीत में इसका पूरा खुलासा किया है। मजदूरों का कहना है कि पहले कंपनी की ओर से यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें वेतन दे दिया जाएगा। इसी तरह उन्हें महीने दर महीने टाला जाता रहा है। बाद में जब मजदूरों ने अपने वेतन के लिए जिद पकड़ी तो कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए। मजदूरों के अनुसार वे जॉर्डन के साहेब अल तमाश इलाके में रह रहे हैं। 

120 Indian labour's stranded in Jordan
मजदूरों का कहना है कि वे बेहद मुश्किल समय से गुजर रहे हैं।

दिल्ली की कंपनी ने की थी हायरिंग
मजदूरों के अनुसार उनकी हायरिंग दिल्ली की एक टी गारमेंट्स नाम कंपनी ने की थी। दिल्ली की इस कंपनी के माध्यम से उन्हें नियुक्त किया गया था। इसके बाद वे बीते एक साल से ज्यादा समय से वहां की दो कंपनियों असिल गारमेंट्स और हाई अप्पैरेल में काम कर रहे थे। शुरू में तो इन्हें वेतन मिल रहा था। हालांकि चार महीने पहले कंपनी ने वेतन देने में आनाकानी शुरू कर दी। पहले तो उन्हें इस बात का भरोसा दिया गया कि जल्द ही उन्हें वेतन दे दिया जाएगा, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया।

120 Indian labour's stranded in Jordan
भारत के अलावा कई अन्य देशों के मजदूर भी जॉर्डन में फंसे हैं।

पाकिस्तान-बांग्लादेश समेत कई देशों के मजदूर परेशान
जॉर्डन में फंसे 120 से ज्यादा भारतीय मजूदरों के साथ ही भारी संख्या में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के भी मजदूर शामिल हैं। भारत और भारत के पड़ोसी देशों के लगभग 500 मजदूरों के यहां फंसे रहने की जानकारी मिली है। इनमें से कुछ ऐसे देश के मजदूर भी हैं, जिनके साथ भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। मजदूरों का कहना है कि वे बहुत परेशान हैं। उन्हें खाना तो किसी प्रकार मिल जा रहा है, लेकिन पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उन्हें टायलेट जाने और नहाने जैसी अहम जरूरी दैनिक कार्यों के लिए भी पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। 

120 Indian labour's stranded in Jordan
भारतीयों मजदूरों में कई ऐसे हैं, जो 2 साल पहले जॉर्डन गए थे।

क्या है इकामा और जॉर्डन में वर्क परमिट से संबंध? 
इकामा सऊदी अरब और खाड़ी देशों में में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को जारी किया जाता है। इस इकामा के आधार पर वे जॉर्डन में ऑन अराइवल वीजा हासिल कर सकते हैं। फंसे मजदूरों का कहना है कि वे इसी इकामा के आधार पर यहां काम कर रहे थे। अब उनके इकामा की अवधि समाप्त हो चुकी है। यही कारण है कि मजदूर स्थानीय स्तर पर उन्हें वेतन नहीं देने वाले कंपनी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी एक्शन नहीं ले पा रहे हैं।

इसके साथ ही कुछ मजूदरों का वर्क परमिट और वर्क वीजा के आधार पर भी वहां काम कर रहे थे। वर्क परमिट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारतीयों सहित विदेशी कर्मचारी देश के श्रम कानूनों और विनियमों का अनुपालन करते हुए जॉर्डन में काम करने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत हैं।

Jordan
जॉर्डन में फंसे भारतीय मजदूरों की लिस्ट

दूतावास ने फोन उठाना बंद किया
मजदूरों का दावा है कि वे भारतीय दूतावास से कई बार संपर्क कर चुके हैं। हालांकि बार बार अनुरोध किए जाने के बाद भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा। मजदूरों का दावा है कि पहले तो उनके फोन एंबेसी के अधिकारी उठा लिए करते थे। हालांकि पिछले कुछ दिनों से एंबेसी ने फोन उठाना भी बंद कर दिया है। ऐसे में मजूदरों का डर है कि कहीं उनके साथ किसी प्रकार की अनहोनी न हो जाए। मजदूर बार-बार खुद को भारत वापस बुलाए जाने की अपील कर रहे हैं।

Indian labour
Indian labour

जॉर्डन में भारतीय दूतावास ने क्या कहा?
जॉर्डन स्थित भारतीय दूतावास ने संपर्क किए जाने के बाद जॉर्डन एंबेसी के फर्स्ट सेक्रेटरी ने एक संदेश में बताया कि हम इस मुद्दे से अवगत हैं। जिस कंपनी में वे काम कर रहे हैं, वह कुछ वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही है। इस मुद्दे को जॉर्डन के अधिकारियों द्वारा निपटाया जा रहा है। दूतावास कंपनी द्वारा बकाया राशि के शीघ्र निपटान के लिए मामले पर नजर रख रहा है।
 

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