Donald Trump disqualified From election: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रम्प को यूएस की कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। ट्रम्प को कोलोराडो में होने वाले स्टेट इलेक्शन के लिए बैन कर दिया गया है। कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 6 जनवरी 2021 को हुए अमेरिकी संसद भवन कैपिटोल बिल्डिंग में हुए हंगामे से जुड़े मामले में सुनाया। अदालत के इस आदेश से कोलोराडो में होने वाले चुनाव में ट्रम्प की रिपब्लिक पार्टी को नुकसान हो सकता है।
अब कोलोराडो स्टेट के प्रेसिडेंशियल प्राइमरी बैलट में ट्रम्प का नाम नहीं होगा। अमेरिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी पूर्व राष्ट्रपति को चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। यह आदेश अमेरिकी संविधान में हुए 14 वें संसोधन के तीसरे सेक्शन के तहत सुनाया गया है। यह प्रावधान बमुश्किल ही इस्तेमाल में लाया जाता है। यह कानून विद्रोहियों को पद पर बने रहने से रोकता है।
क्या है मामला, जिसमें हुई कार्रवाई?
दरअसल जनवरी 2021 को जब डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव में हार गए थे। इसके बाद उनके समर्थकों ने जमकर उत्पात मचाया था। ट्रम्प के समर्थकों ने अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग में घुस कर हुड़दंग मचाया था। ये विद्रोही अमेरिकी संसद भवन की छतों पर चढ़ गए थे और ट्रम्प के समर्थन में नारेबाजी की थी। सुरक्षा बलों को इन्हें बिल्डिंग से निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जो हथियारों से लैस नजर आए थे। इस घटना की दुनियाभर में निंदा हुई थी। ट्रम्प पर अपने समथर्कों को विद्रोह के लिए उकसाने का आरोप लगा था। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति ने इसमें अपनी भूमिका होने से साफ इनकार किया था।
क्या हुआ कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट में?
कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने से पहले इस मामले का अमेरिका की निचली अदालत में भी ट्रायल चला था। कोलाराडो सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। जज सारा वैल्स ने इस मामले में विभिन्न पहलुओं पर गौर किया। यूएएस कैपिटोल के पुलिस अधिकारियों के बयान लिए गए। लॉमेकर्स से भी पूछताछ की गई। अदालत में 6 जनवरी 2021 को दिया गया भाषण सुना गया। इसके साथ ही राइट विंग एक्स्ट्रीमिज्म के विशेषज्ञों की भी राय जानी। इसके बाद ट्रम्प के खिलाफ संविधान के ऐसे प्रावधान के तहत आदेश सुनाया गया जो कि देश में हुए सिविल वार के बाद संविधान में जोड़ा गया था। इस प्रावधान में इस बात का साफ उल्लेख है कि जो भी व्यक्ति विद्रोह की गतिविधि में शामिल रहा हो वह देश के किसी भी सरकारी पद पर नहीं बैठ सकता। लेकिन इसमें प्रेसिडेंट पद का कोई उल्लेख नहीं है।
क्या कहा कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने?
जज ने कहा कि ट्रम्प ने क्लेरयरमोंट, हैम्पशायर में 11 नवम्बर को हुए चुनावी अभियान में भड़काऊ भाषण दिया था। ट्रम्प सक्रिय तौर पर अपने समर्थकों की नाराजगी भड़काने में शामिल रहे। उन्होंने जानबूझकर बाइडेन के चुनाव जीतने के बावजूद भी उनके इलेक्टोरल प्रमाणन पक्रिया में रोड़े अटकाने की कोशिश की। आदेश सुनाने वाले कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के सात में से चार जजों ने ट्रम्प को विद्रोहियों को भड़काने और विद्रोह में सक्रियतापूर्वक शामिल होने की बात कही। जज वैलेस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प प्रेसिडेंशियल ऑफिस संभालने के लिए अयोग्य करार दिए जाते हैं। अगर इलेक्शन सेक्रेटरी ट्रम्प का नाम प्रेसिडेंशियल प्राइमरी बैलट में शामिल करते हैं तो यह इलेक्शन कोड के तहत गलत होगा। इसलिए सेक्रेटरी प्रेसिडेंशियल प्राइमरी बैलट में ट्रम्प का नाम नहीं लिखें और न ही उनके वोट की गिनती करें।
क्या कहा डोनाल्ड ट्रम्प ने ?
डोनाल्ड ट्रम्प ने अदालत के इस फैसले को तानाशाही शुरुआत कहा है। उन्होंने फैसले के बाद कहा कि हम इस आदेश के खिलाफ अमेरिकी के सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। हमें उम्मीद है कि देश की सर्वोच्च अदालत हमारी सुनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हम वामपंथी जजों को ज्यादातर अमेरिकी लोगों का वोट नहीं चुराने देंगे। उन्होंने कहा कि बाइडेन काफी कुटिल हैं। कोलोराडो कोर्ट के इस आदेश के पीछे सोरोस फंडेड डेमोक्रेट्स हैं। डेमोक्रेट्स की ओर से नियुक्त किए गए सभी जजों ने मेरा नाम मतपत्र से हटाने का आदेश दे दिया। यह सब डेमोक्रेट्स पार्टी और बाइडेन की चाल है। वे मुझे वोटों से नहीं हरा सकते और यही वजह है कि मेरा नाम कोलोराडो की बैलट पेपर से हटवा दिया।
अब क्या हो सकता है ?
फिलहाल यह आदेश सिर्फ कोलोराडो स्टेट के लिए हैं। दरअसल अमेरिका के हर राज्य में एक स्टेट सुप्रीम कोर्ट है। इन सबसे ऊपर देश का नेशनल सुप्रीम कोर्ट है। अब ट्रम्प यहीं का रुख करेंगे। ऐसे में हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट से वे कोलोराडो कोर्ट के आदेश पर पॉज यानी कि स्थगन ले आएं। ऐसी स्थिति में ट्रम्प पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने तक यह रोक लागू होगी। ट्रम्प का नाम दूसरे राज्यों में होने वाले चुनावों के बैलट पर लिखा जा सकेगा। अमेरिकी चुनाव आयोग भी इस बात पर नजर रख रहा है कि ट्रम्प का अगला कदम क्या होगा।